द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) भविष्य में ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत माना जा रहा है। रिन्यूएबल एनर्जी का स्रोत प्रकृति है। केंद्र और राज्य सरकारें इसे बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है । अक्षय ऊर्जा का उत्पादन सुगम और पर्यावरण फ्रेंडली होता है। झारखण्ड में सरकार द्वारा इस स्रोत को बढ़ावा देने के लिए झारखण्ड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी, ज्रेडा (विद्युत विभाग झारखण्ड) का 19 फरवरी 2001 को गठन किया गया था। जिसकी गतिविधि, योजनाएं और फायदों को प्रगति मैदान में चल रहे व्यापार मेले में ज्रेडा की स्टॉल पर प्रदर्शित किया गया है। मेले में आने वाले लोग (ज्रेडा) की स्टॉल पर इससे जुडी जानकारियां ले रहे हैं।
झारखण्ड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (ज्रेडा) के स्टेट रिप्रजेंटेटिव आशीष सेन ने बताया कि ज्रेडा झारखंड में 25 मेगावाट का प्लांट, 4500 सोलर स्ट्रीट लाइट, सोलर पंप, 455 ग्रामों में सौर्य ऊर्जा के माध्यम से विद्युतीकरण का काम कर चुकी है। ज्रेडा अब सरकारी इमारतों में सोलर पी वी रूफटॉप स्कीम, सोलर वाटर पम्पस स्कीम, सोलर स्ट्रीट लाइट प्रोग्रम, सोलर हाई मास्ट , लाइटिंग स्कीम, सोलर पावर्ड कोल्ड स्टोरेज प्रोग्रम, सोलर माइक्रो/ मिनी ग्रिड , सोलर स्टैंडलोन सिस्टम प्रोग्राम के अंतर्गत 1700 मेगावाट का सोलर पार्क, 900 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर, 400 मेगावाट का सोलर कैनाल टॉप, 250 मेगावाट का सोलर रूफटॉप, 120 मेगावाट का सोलर पम्पसेट, किसानों की बंजर भूमि पर अतिरिक्त आय हेतु 250 मेगावाट तक सोलर प्लांट की स्थापना और 1000 सोलर ग्राम बनाने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है। आशीष के अनुसार रिन्यूएबल एनर्जी को ग्रीन एनर्जी भी कहा जाता है| इससे किसी भी तरह की हानि नहीं है , साथ ही ये किफायती भी है। प्रगति मैदान के ज्रेडा स्टॉल पर आने वाले लोग रिन्यूएबल एनेर्जी के उत्पादन और उसके घरेलु उपयोगों के बार में अधिक रुचि ले रहे हैं।