logo

बच्चों को कुपोषण से बचाने में रांची अव्वल, नीति आयोग की रैंकिंग में बना ओवरऑल चैंपियन

10056news.jpg
द फॉलोअप टीम, रांची:

भारत में हर साल कुपोषण के कारण ना जाने कितने ही बच्चे मर जाते हैं। दो से तीन साल पहले की रिपोर्ट देखें तो मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है। वहीं दक्षिण एशिया में भारत की कुपोषण के मामले में काफी बुरी हालत है। इस बीच झारखण्ड से एक अच्छी खबर यह है। नौनिहालों को कुपोषण से बाहर निकालने में रांची चैंपियन बन गया है। नीति आयोग ने 112 आकांक्षी जिलों की रैंकिंग में स्वास्थ्य और पोषण के पैमाने पर रांची को अव्वल स्थान मिला। 


झारखंड सरकार के पहल से हुआ 
आकांक्षी जिलों की ओवरऑल चैंपियन ऑफ रेंज रैंकिंग में भी रांची तीसरे पायदान पर है।  झारखंड सरकार की पहल से सामाजिक पैमानों पर आई बेहतरी के कारण रांची को यह गौरव मिल पाया है। आंगनबाड़ी में बढ़ी गुणवत्ता के कारण बच्चों में कुपोषण कम देखने को मिल रहा है। अस्पतालों में प्रसव की संख्या भी बढ़ी है। 5 साल से छोटे उम्र के बच्चों में  गंभीर कुपोषण के आंकड़ों में कमी आई है। स्वास्थ्य और पोषण के कार्यक्रमों को ट्रैक करने के लिए सरकार की ओर से पोषण ऐप की शुरुआत की गई। झारखण्ड को कुपोषण से बचाने के लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। 



सिमडेगा का भी अच्छा प्रदर्शन 
112 जिलों की ओवरऑल चैंपियन ऑफ़ चेंज रैंकिंग में सिमडेगा भी पांचवे नंबर पर है। कृषि एवं जलसंसाधन विकास में पलामू को टॉप टेन में सांतवा स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं इस रैंकिंग प्रणाली में बोकारो, चतरा और रामगढ़ खराब प्रदर्शन वाले जिलों में शामिल है। शिक्षा के मामले में चतरा और दुमका फिसड्डी साबित हुए हैं। दोनों जिले को अंतिम 10 में स्थान मिला है। 

कुपोषण पर रिपोर्ट से चिंता बरकरार
यूनिसेफ रिपोर्ट के मुताबिक देश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में लगभग आधे कुपोषण के शिकार हैं। झारखंड में 43% बच्चे कम वजन के हैं, जबकि 29% गंभीर रूप से कुपोषित हैं।  वे अपनी आयु की तुलना में काफी दुबले और नाटे हैं। कुपोषण के कारण इनकी शारीरिक, मानसिक एवं प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के लिए जो आवश्यक पोषक तत्व उन्हें मिलने चाहिए वह उन्हें नहीं मिल पाए हैं।