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कई दशकों तक BJP कहीं नहीं जाने वाली, भ्रम पाल बैठी है कांग्रेस- प्रशांत किशोर

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
प्रशांत किशोर का मानना है कि कांग्रेस खुद कुछ नहीं करना चाहती। कांग्रेस के बड़े नेताओं को ऐसा लगता है कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराज़ होकर एक दिन अपने आप कांग्रेस को वोट देने लगेंगे। इसलिए पार्टी को कुछ करने की जरूरत ही नहीं है। अपनी गोवा यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने ये बात कही है। प्रशांत किशोर ने गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि बीजेपी कई दशकों तक कहीं नहीं जाने वाली है। भारतीय राजनीति में आज उसका रुतबा वही है, जो आजादी के बाद के शुरुआती 40 सालों तक कांग्रेस का था। पीके ने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि लोगों में नाराजगी है और जनता पीएम मोदी को उखाड़ फेंकेगी तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने वाला है। हो सकता है कि लोग मोदी को उखाड़ फेंके भी लेकिन बीजेपी कहीं नहीं जाने वाली है।

भाजपा के भविष्य को कैसे देखती है कांग्रेस
कांग्रेस मोदी और भाजपा के भविष्य को कैसे देखती है, इस पर किशोर ने कहा, ‘आप किसी भी कांग्रेस नेता या किसी भी क्षेत्रीय नेता से जाकर बात करें, वे कहेंगे, ‘बस समय की बात है, लोग तंग आ रहे हैं, एंटी-इनकम्बेंसी होगी और लोग उन्हें बाहर कर देंगे । फिर हम अपने आप सत्ता में वापस आ जाएंगे। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा होने वाला है।’ गोवा के म्यूजियम में बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा, ‘इस झांसे में कभी मत पड़ना कि लोग नाराज हो रहे हैं और वे मोदी को बाहर कर देंगे। शायद वे मोदी को बाहर कर देंगे, लेकिन भाजपा कहीं जाने वाली नहीं है। आपको अगले कई दशकों तक बीजेपी से लड़ना होगा।’


भ्रम में हैं राहुल गांधी
किशोर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर कहा कि वह शायद इस भ्रम में हैं कि मोदी के सत्ता में रहने तक ही बीजेपी मजबूत है। किशोर ने कहा, ‘यही समस्या राहुल गांधी के साथ है। शायद, उन्हें लगता है कि यह बस समय की बात है जब लोग मोदी को सत्ता से बाहर कर देंगे।’ पीके ने कहा, ‘जब तक आप उनकी ताकत को नहीं समझेंगे आप उन्हें हरा नहीं पाएंगे। मैं जो समस्या देखता हूं वह यह है कि ज्यादातर लोग उनकी ताकत को समझने के लिए अपना समय स्पेंड नहीं कर रहे हैं। यह समझना होगा कि उनकी लोकप्रियता का क्या कारण है। अगर आप इस बात को समझ लेंगे, तभी आप उन्हें हराने के लिए काउंटर ढूंढ सकते हैं।

क्यों विपक्षी दलों को पीके की बात को गंभीरता से लेना चाहिए
2014 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के पीछे प्रशांत किशोर की रणनीतियों को भी अहम फैक्टर माना गया था। वक्त के साथ पीके का बीजेपी से मोहभंग हुआ और 2015 के बिहार विधानसभा में उन्होंने महागठबंधन (जेडीयू+आरजेडी+कांग्रेस) की जीत सुनिश्चित कर अपनी रणनीतियों का लोहा मनवाया। बिहार चुनाव के बाद तो प्रशांत किशोर जैसे बीजेपी की लहर की काट वाली सियासी 'जड़ी' बनकर उभरे। उन्होंने भी निराश नहीं किया। एक के बाद एक तमाम राज्यों में उनकी बनाई रणनीतियों ने गैर-बीजेपी दलों की जीत की स्क्रिप्ट लिखी। चाहे पंजाब में कांग्रेस की हो, आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की या फिर तमिलनाडु में एमके स्टालिन की...जीत के सूत्रधार पीके बने। यह बताने के लिए काफी है कि पीके जो कहते हैं, उनका वजन क्या है खासकर विपक्षी दलों के लिए।