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प्रशांत किशोर ने छोड़ा कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ, प्रधान सलाहकार पद से दिया इस्तीफा

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली: 

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। प्रशांत किशोर ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सलाहकार का पद छोड़ दिया है। उन्होंने इस्तीफा देते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका से अस्थायी अवकाश लेने के अपने निर्णय के मद्देनजर वे सीएम के प्रधान सलाहकार के रूप में जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षमनहीं है। उन्होंने कैप्टन से अनुरोध किया कि उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाए।  

बंगाल चुनाव में दिया था ममता का साथ
गौरतलब है कि बंगाल चुनाव में प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी का साथ दिया था। उन्होंने ममता बनर्जी की टीएमसी के लिए कैंपेनिंग का काम संभाला था। चुनाव में ममता बनर्जी की जीत के बाद प्रशांत किशोर ने ये कहकर चौंका दिया था कि वे अब ये काम नहीं करना चाहते। 2022 में पंजाब का चुनाव है। इस साल की शुरुआत में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रशांत किशोर को अपना प्रधान राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किया था. तब ये कयास लगे थे कि ये कवायद 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए है। पर अचानक से प्रशांत ने ये पद छोड़कर सियासी हलचल बढ़ा दी है। 

यूपी चुनाव में दे सकते हैं कांग्रेस का साथ
गौरतलब है कि अलग-अलग स्त्रोतों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशांत किशोर अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ सकते हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की तरफ से उनको ये प्रस्ताव दिया गया है। कांग्रेस इस वक्त ना केवल केंद्र बल्कि राज्यों में भी अपनी खोई हुई जमीन हासिल करने की कवायद में जुटी है। माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर यूपी चुनाव सहित 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए चुनावी रणनीति तैयार कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि वे कैप्टन अमरिंदर सिंह से अलग हो गए।  

कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को दिया प्रस्ताव
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ आए थे। तब सपा और कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था। प्रशांत किशोर ने इनकी चुनावी रणनीति तैयार की थी। राहुल गांधी और अखिलेश यादव को लेकर यूपी के अच्छे लड़के का नारा गढ़ा था लेकिन पार्टी को जीत नहीं मिली। कहा जाता है कि उस चुनाव में प्रशांत किशोर चाहते थे कि प्रियंका गांधी को पार्टी का चेहरा बनाया जाए लेकिन शीर्ष नेतृत्व की सहमति नहीं मिली।