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और साजिशों का धुंआ....जिंदा या मुर्दा ...जानिये फिर क्‍या हुआ

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द फॉलोअप टीम, रांची:
तू गर दरिन्दा है तो ये मसान तेरा है
अगर परिन्दा है तो आसमान तेरा है।
यह पंक्‍तियां मशहूर कवि अशोक चक्रधर की हैं। जामिया में हिंदी के एचओडी रहे अशोक चक्रधर पद्मश्री से सम्‍मानित भी हैं। उनकी शोहरत हास्य कवि के रूप में अधिक रही है। उनके काव्‍य  की गूंज आज झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी में गूंजी। दरअसल उनकी कविता साजिशों का धुंआ से प्रेरित नाटक जिंदा या मुर्दा का मंचन हुआ।



इन हाउस थियेटर का आगाज
झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी के इन हाउस थियेटर का आगाज हो चुका है, जिसके तहत उक्‍त नाटक मंचित किया गया। नाटक निर्देशन किया राजीव सिन्हा ने जबकि इसमें अभिनय करने वाले कलाकारों में आयुष शर्मा, आतिफ हुसैन, सर्वेश करण, मन्नु कुमार, राहुल अक्की और साहिल शर्मा शामिल थे। मंचन के दौरान जाने माने मीडियाकर्मी गंगेश गुंजन और रेडियो धमाल के निदेशक राजेश रंजन के अलावा एकेडमी के कई छात्र भी मौजूद थे।



चिता से पहले ही शव से मौलवी टकरा गए
नाटक में पांच लोग मिल कर नशे में धुत एक जिंदा युवक की अर्थी को शमशान जलाने ले जा रहे होते हैं, तभी उनकी टक्कर एक मौलवी साहब से हो जाती है, और लाश गिर पड़ती है। उसे बड़बड़ाता देख जब कारण पूछा जाता है तब वो पांचों अपनी आप बीती बताते हैं। दरअसल ये युवक एक नशेड़ी होता है जिसकी वजह से मोहल्ले के कई नौजवान नशे के चंगुल में पड़ गए हैं। और कइयों की तो जान भी चली गई है, जिससे खफा लोग उसे जिंदा जलाने का मन बनाते हैं।