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द फॉलोअप की खबर का असर! रिम्स के बाहर मां के इलाज के लिए पैसा जुटाते 12 साल के बच्चे को मिली मदद

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

द फॉलोअप की खबर का असर हुआ है। द फॉलोअप ने खबर चलाई थी कि रिम्स में इलाजरत महिला का 12 साल का बेटा हॉस्पिटल के बाहर लोगों से मदद की गुहार लगा रहा है। किसी तरह से पैसे जुगाड़ करके दवाइयों और भोजन का इंतजाम कर रहा है। उसने उम्मीद जताई थी कि सामाजिक संस्था और सरकार उसकी सहायता के लिए आगे आयेगी। शाम होते-होते कई सामाजिक संगठनों ने उस बच्चे की तरह मदद का हाथ बढ़ाया है। इस वक्त ये काफी सुखद खबर है। 

कई सामाजिक संस्थाओं ने बढ़ाया हाथ
मिली जानकारी के मुताबिक अनुसूचित जाति मोर्चा झारखंड प्रदेश के मीडिया प्रभारी और युवा समाजसेवी अनिल राम ने उक्त बच्चे की सहायता की। उन्होंने रिम्स जाकर बच्चे से मुलाकात की। बच्चे को फल और नगद धनराशि सौंपी। अनिल राम ने आश्वासन दिया है कि आगे भी बच्चे की सहायता की जायेगी। इस बीच कई और सामाजिक संस्थाओं ने भी उस परिवार की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। 

सुमन देवी की इम्तिहान ले रही है जिंदगी
जिंदगी कभी-कभी कड़ा इम्तिहान लेती है। ताजा मामला 40 वर्षीय सुमन देवी की है। सुमन डायबिटीज सहित कई अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं। वो बीते चार दिनों से रिम्स हॉस्पिटल में भर्ती हैं। सुमन की समस्या केवल बीमारियां नहीं हैं बल्कि उनका साथ देने वाला भी कोई नहीं है। 

कई साल पहले हो चुकी है पति की मौत
सुमन के पति की पति कई साल पहले हो चुकी है। रिश्तेदारों ने साथ छोड़ दिया है। जानने वाले के नाम पर केवल 12 साल का बच्चा है। बेटा अस्पताल के चक्कर लगा रहा है। किसी तरह से पैसों का जुगाड़ कर रहा है। मां और बेटा रांची में किराये के मकान में ही रहते थे। स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि 12 साल का मासूम ना तो मां के लिए दवाईयां खरीद पा रहा है और ना ही खाना जुटा पा रहा है। 

इलाज के लिए पैसों का इंतजाम नहीं है
उनकी गरीबी और हालत देख आस-पास के कुछ लोगों ने सहायता की है लेकिन ये इलाज के लिए नाकाफी है। 12 साल का मासूम मां के इलाज के लिए सरकार और समाज से सहायता की उम्मीद लगाये बैठा है वहीं उनकी मां रिम्स हॉस्पिटल के बेड में पड़ी किसी सहायता के इंतजार में हैं। दवा, जांच और इलाज के लिए काफी पैसा चाहिए जो नहीं जुटा पाने पर बच्चा असहाय महसूस कर रहा है। 

समाज और सरकार को आगे आना होगा
एक सभ्य समाज के तौर पर हमारी, आपकी और सरकार की ये जिम्मेदारी है कि उस मासूम की फरियाद सुनी जाए। सरकार और सामाजिक संस्थाओं को भी इस परिवार की सहायता के लिए आगे आना चाहिए ताकि मां की आंखों में जो बच्चे का भविष्य गढ़ने का सपना है वो ना मरे और ना ही बच्चे के सिर से मां का साया उठे। समाज के तौर पर जिंदगी और इंसानियत बचाने के लिए सबको आगे आना होगा।