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एक ने ममता का गला घोंटा....तो दुसरे ने जगाई आशा की किरण

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द फॉलोअप टीम, छपरा:
मशरक के बिशुनपुरा से चैकाने वाली खबर सामने आई है जिस पर आपका भरोसा करना मुश्किल होगा। शायद ही किसी ने यह सोचा होगा कि जन्म के बाद जन्म के बाद जिस कोमल नवजात को सिने से लगाकर रखना चाहिए था, उसे बंसवारी में कीड़े-मकोड़ों के बीच फेंक दिया गया।

नवजात के लिए आशा लेकर आई आशा की किरण
बिशुनपुरा गांव में रहने वाली आशा ने बच्चे की जान बचाई है। आस पास के लोगों का कहना है कि जन्म देने वाली मां निष्ठुर निकली तो क्या हुआ, ईश्वर जिसे बचाना चाहता है, उसे कोई न कोई हवाला जरूर लगा देता है। तभी तो गांव की आशा उस नन्हीं जान के लिए आशा की किरण बनकर आई। नवजात को अस्पताल पहुंचाने वाली आशा ने बताया कि नवजात के बारे उसे गांव गांव की महिलाओं से मिली। आशा ने बताया कि में गांव की महिलाओं ने नवजात को फेंका देखा जिसके बाद आसपास के लोगों में चर्चा होने लगी। सूचना पाकर गांव की आशा वहां पहुंची और नवजात को मशरक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया।

जाको राखे साइयां मार सके ना कोय
चिकित्सक डॉ. रिजवान अहमद ने बच्चे का इलाज किया। उन्होंने बताया कि करीब 10- 12 घंटे पूर्व जन्मे नवजात के शरीर पर कीड़े चल रहे थे। बच्चे का इलाज कर दिया गया है। अब वह स्वस्थ है। अस्पताल कर्मियों ने थाना पुलिस को सूचना दे दी है। मौके पर पहुंचे छपरा चाइल्ड हेल्पलाइन के टीम मेम्बर अखिलेन्द्र सिंह ने बताया कि अब यह नवजात छपरा जा रहा है।

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