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रांची मेयर ने फिर CEO पर उठाया सवाल, गंभीरता से नहीं लेते निगम परिषद की बैठक को

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द फॉलोअप टीम, रांची:
रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि नगर आयुक्त मुकेश कुमार स्थाई समिति और निगम परिषद की बैठक को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उनका कहना है कि नगर आयुक्त को यह भी नहीं पता है कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 की धारा-86 के तहत बैठक से संबंधित कार्यवृत्त की कार्यवाही पर परिषद की अध्यक्ष से हस्ताक्षर करना अनिवार्य है। उसके बाद धारा-88 के तहत कार्यवाही की एक प्रति हस्ताक्षर होने के सात दिनों के अंदर राज्य सरकार को अग्रसारित किया जाना है। उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त परिषद का सचिव होने के नाते झारखंड नगरपालिका अधिनियम के कस्टोडियन हैं। झारखंड नगरपालिका अधिनियम में निहित प्रावधानों का पालन करना व कराना उनका कर्तव्य है। 

मेयर के हस्ताक्षर के बिना नियम लागू नहीं 
मेयर ने कहा कि यह कहते हुए ग्लानि हो रही है कि वे न तो खुद कानून का पालन कर रहे हैं और न ही कानूनी प्राविधानों के तहत रांची नगर में किसी को कार्य करने देना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि 19 मार्च व 19 अप्रैल को स्थाई समिति की बैठक हुई थी। फिर 25 व 27 मार्च को निगम परिषद की बैठक हुई थी। बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। मेयर ने बताया कि नगर आयुक्त को यह भी जानकारी नहीं है कि मेयर के हस्ताक्षर के बिना स्थाई समिति व निगम परिषद की बैठक में लिए गए निर्णयों को लागू नहीं किया जा सकता। 

आम लोगों की समस्याओ का समाधान नहीं हो रहा 
मेयर ने बताया कि आज हालात ऐसे हो गए हैं कि मुझे नगर आयुक्त को पत्र लिखकर झारखंड नगरपालिका अधिनियम में निहित प्रावधानों की जानकारी देनी पड़ रही है। क्या नगर आयुक्त को यह भी बताना पड़ेगा कि उनकी मनमानी के कारण आम लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।  शहर का विकास बाधित हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकार से फंड आवंटित होने के बावजूद 53 वार्डों की स्वीकृत योजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब हो रहा है। शहर की आम जनता प्रतिदिन नई-नई समस्याओं को लेकर चयनित जनप्रतिनिधियों से समाधान कराने की मांग कर रहे हैं। मेयर ने कहा कि नगर आयुक्त को पत्र के माध्यम से निर्देश दिया गया है कि तीन दिनों के अंदर स्थाई समिति व निगम परिषद की बैठक से संबंधित कार्यवाही की फाइल एवं बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ उपलब्ध कराएं।