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हेमंत सरकार से मदरसा और संस्कृत शिक्षकों की टूटती जा रही है आस 

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द फॉलोअप टीम, रांची:

यह 2014 की बात है। जब हेमन्त सोरेन की अगुवाई में झारखंड में सरकार चल रही थी। तब मदरसा और संस्कृत शिक्षकों को पेंशन दिए जाने से संबंधित संकल्प जारी किया गया था। लेकिन राज्य में भाजपा की सरकार के गठन के बाद उक्त संकल्प को निरस्त कर दिया गया। अब जबकि राज्य में दोबारा हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार है, तो वंचितों की आस बढ़ गई है। सरकार से लगातार संकल्प 2020 को बहाल करने की मांग की जा रही है। ऑल झारखण्ड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के सचिव मौलाना मोहम्मद हम्माद क़ासमी ने कहा कि महागठबंधन सरकार से मदरसा और संस्कृत शिक्षकों की आस टूटती जा रही है।

 

 

मौलाना क़ासमी ने कहा कि राज्य के 186 प्रस्वीकृति प्राप्त मदरसों और 12 संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों को पेंशन दिए जाने से संबंधित संकल्प  को बहाल करने के लिए पिछले दो सालों से कई बार मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों और विधायकों से मिलकर आग्रह किया जा चुका है। लेकिन अब तक  आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। संकल्प को बहाल करने और लागू करने के संबंध में अबतक सरकारी स्तर से कोई पहल नहीं होने से मदरसा और संस्कृत शिक्षकों व कर्मचारियों में सरकार के प्रति रोष और नाराजगी है।

मौलाना क़ासमी ने कहा कि जैसे जैसे समय गुजरता जा रहा है वैसे वैसे सेवानिवृत्त शिक्षकों और कर्मचारियों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। दुःख की बात ये है कि  सरकार के आश्वासन और वादा पर भरोसा कर पेंशन के  इंतज़ार में बैठे कई सेवानिवृत्त शिक्षक मौत के मुंह में जा चुके हैं। लेकिन फिर भी मदरसा व संस्कृत शिक्षकों के दर्द का एहसास सरकार को नहीं हो रहा है।