द फॉलोअप टीम, लोहरदगा:
जंगल में बाघ का होना अच्छी खबर है। मगर लोहरदगा के जंगल में बाघ की मौजूदगी अविश्वसनीय और हैरान कर देने वाली है। मगर यहां बाघिन की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं, इसकी पुष्टि हुई है। पिछले एक महीने में बाघिन ने पांच गाय-बैलों को मार खाया है। बाघिन की मौजूदगी विगत 21 मई को चर्चा में तब आई थी जब सलैया पंचायत के बड़का मडुआपाट निवासी इदरीश नगेसिया के तीन बैलों को बाघ ने शिकार बनाया।
बाघिन होने की पुष्टि के लिए किया मुआयना
बारिश में मवेशी जंगल में भटक गए थे और बाघ का शिकार बन गए। दो और ग्रामीणों के पशुओं को बाघ ने मारा है। ग्रामीणों से मिली सूचना और वन कर्मियों की रिपोर्ट पर विभाग ने संज्ञान लेते हुए बाघ की मौजूदगी की जांच कराई। पलामू टाइगर रिजर्व की टीम ने दो दिन क्षेत्र भ्रमण किया। बाघिन द्वारा किए गए शिकार की पड़ताल की। पैरों के निशान देखे। बाघ और बाघिन के पैरों के निशान अलग होते हैं। शिकार करने और खाने का तरीका भी अलग होता है। बाघ हमेशा अपने शिकार के शरीर के आगे वाले हिस्से से खाना शुरू करता है और 48 घंटे बीत जाने पर शिकार को नहीं खाता। जबकि लकड़बग्घा और दूसरे जानवर ऐसा करते हैं।
ग्रामीणों ने किया बाघिन को देखने का दावा
ग्रामीण इदरीश नगेशिया का दावा है कि वह जब अपने पशुओं की तलाश में निकले थे तो उन्होंने बाघिन को गुफा से निकलते हुए देखा था। हालांकि बाघिन ने किसी इंसान पर अब तक हमला नहीं किया है, मगर ग्रामीण सहमे हुए हैं और जंगल में निकलने पर काफी एहतियात बरत रहे हैं। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में भालुओं और लकड़बग्घों का आतंक रहा है। भालू इंसानों पर हमला करते रहे हैं और लकड़बग्घे पालतू जानवरों पर। मगर पिछले कुछ सालों से पलामू टाइगर रिजर्व और छत्तीसगढ़ के जंगलों से बाघों का लोहरदगा के जंगलों में प्रवेश, विचरण और शिकार करने की घटनाएं बीच-बीच में सुनी जाती रही हैं। मगर टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट की जांच में इसकी पुष्टि हो गई है।
अब तक तीन बैलों के मारे जाने की पुष्टि हुई
डीएफओ अरविंद कुमार ने बताया कि बाघिन द्वारा तीन बैलों को मारे जाने की पुष्टि हुई है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रभावित किसान को मुआवजा दिया जाएगा। टाइगर रिजर्व की टीम ने यहां से जंगल में आकर जांच की है। यहां बाघिन के होने का पता चला है। संभावना है कि टाइगर रिजर्व से भटक कर बाघिन आई होगी। लोगों को जंगल में एहतियात बरतने की जरूरत है।