मोहित कुमार, दुमका:
सीबीएसई औऱ झारखंड बोर्ड ने 10वीं और 12वीं बोर्ड का परिणाम जारी कर दिया है। परिणाम जारी होने के बाद से ही मार्क्स को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला दुमका का है। दुमका में छात्रों ने आरोप लगाया है कि उनसे मार्क्स बढ़वाने के बदले पैसे मांगे जा रहे हैं। गौरतलब है कि इससे संबंधित एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में एक शिक्षक कथित तौर पर छात्रों से मार्क्स बढ़वाने के बदले पांच हजार रुपयों की मांग कर रहा है।
द फॉलोअप संवाददाता ने किया छात्रों से बातचीत
सीबीएसई के 10वीं औऱ 12वीं बोर्ड परिणाम में मार्क्स को लेकर मचे बवाल और कथित वायरल ऑडियो को लेकर द फॉलोअप संवाददाता मोहित कुमार ने छात्रों से बातचीत की। छात्रों का कहना है कि जब 9वीं, 10वीं और 11वीं के हासिल अंकों के आधार पर मूल्यांकन किया गया तो फिर क्या वजह है कि बोर्ड में उनका कम मार्क्स आया। छात्रों में इसको लेकर काफी नाराजगी है। वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यदि कॉलेजों में कटऑफ पद्दति से दाखिला लिया गया तो कम मार्क्स होने के वजह से छात्र अच्छी उच्च शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। वे इसमें सुधार चाहते हैं।
छात्रों ने मूल्यांकन पद्दति पर ही सवाल खड़ा किया
छात्रा अनामिका श्रेया ने संवाददाता को बताया कि जो लोग पिछली कक्षाओं में कम मार्क्स लाते थे उनको ज्यादा मार्क्स दिया गया। जो छात्र हमेशा क्लास में अच्छा मार्क्स लाते थे उनको कम मार्क्स दिया गया। अनामिका ने कहा कि जाहिर है कि ये सीबीएसई ने नहीं किया होगा कि क्योंकि आंतरिक मूल्यांकन तो स्कूल ने किया है। छात्रा ने कहा कि हम रिपोर्ट्स देखना चाहते हैं। हमें समझना है कि आखिरकार किस आधार पर हमारे मार्क्स कम आये हैं।
शिक्षक ने मार्क्स बढ़ाने के लिए पैसों की मांग की
द फॉलोअप संवाददाता ने कथित वायरल ऑडियो को लेकर भी बात किया। छात्र बिष्णु कुमार ने कहा कि हमें कम मार्क्स दिया गया। जिन लोगों ने पैसा दिया उनको ज्यादा मार्क्स दिया गया। छात्र ने दावा किया कि उनसे सिद्दो-कान्हू स्कूल के शिक्षक अमिताभ चौधरी ने प्रति सब्जेक्ट पांच हजार रुपये की मांग की। पांच विषय के लिए 25 हजार रुपये की मांग की गई। छात्र का दावा है कि अमिताभ चौधरी ने महज 60 फीसदी मार्क्स के लिए इतनी रकम मांगी।
स्कूल प्रबंधन ने मामले में बयान देने से इंकार किया
गौरतलब है कि चाहे वो सीबीएसई बोर्ड हो या झारखंड एकेडमिक काउंसिल। छात्रों की परीक्षा नहीं ली गई थी। सुरक्षा के मद्देनजर आंतरिक मूल्यांकन किया गया था। परिणाम भी जारी कर दिया गया है लेकिन हजारों छात्र परिणामों से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि जिस आधार पर मूल्यांकन किया गया उस आधार पर तो कम मार्क्स आना ही नहीं चाहिए था। मामले को लेकर द फॉलोअप संवाददाता ने स्कूल प्रबंधन से बात करना चाहा लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार किया।