द फॉलोअप टीम, धनबाद:
मां के लिए ना जाने कितनी ही बेहतरीन कवितायें, कहानियां और उपन्यास लिखे जाते है। मां इस दुनिया की सबसे सुंदर सृजन है। मां के बिना हमारे जीवन की कल्पना भी व्यर्थ है। हमारे ऊपर कोई मुसीबत आये उससे पहले ही हमारी मां ढाल बन कर हमारे सामने खड़ी हो जाती है। पर क्या जब मां पर मुसीबत आती है तो क्या हम उनके ढाल बन पाते है ? कभी हां तो कभी ना में इसका उत्तर मिलेगा। दरअसल हम मां के ऊपर इसलिए लिख रहे है क्योंकि धनबाद से एक मां की बेहद ही दुखद तस्वीर सामने आई है। जिस मां ने अपनी पाई-पाई अपने बेटों पर समर्पित कर दिया उसी मां को कार की डिक्की में अस्पताल जाना पड़ा।
तीनों बेटे में बांटे बराबर रूपये
मां ने बीसीसीएलकर्मी पति की नौकरी छोटे बेटे को दे दी। बड़े व मंझले बेटे को पीएफ समेत अन्य जितने भी पैसे थे सब दे दिया। गांव में पुश्तैनी जमीन थी उसे बेचकर तीनों बेटों में बराबर रूपये बांट दिए। अब जब बूढी मां को इलाज की जरूरत पड़ी तो बेटों की आपसी रस्साकसी शुरू हो गई। मां तीन घंटे तक कार की डिक्की में विवश पड़ी रही। मां अस्पताल ले जाना था, परंतु कार में जगह नहीं बनी तो बेटे ने उसे डिक्की में ही डाल दिया। जब पुलिस को जानकारी हुई तो बेटों को फटकारा। बाद में पुलिस मां को डिक्की से निकालकर कार की पिछली सीट पर लिटाकर अस्पताल ले गई।
बेटों ने अजीब से घटिया सफाई दी
70 वर्षीय छुआरा देवी के बीसीसीएलकर्मी पति की मौत 1999 में हुई थी। मां छुआरा देवी ने तीनों बेटे में बराबर पैसों का बंटवारा किया है। अभी वह अपने बड़े बेटे नरेश के साथ रह रही हैं। नरेश ने पुलिस को बताया कि मां को सीट में असहज देख डिक्की में सुला दिया था। मंझले बेटे महेश ने बताया कि मां कार में अच्छा फील नहीं कर रही थी।। इसलिए डिक्की में जगह बनाकर मां को सुला दिया। सिर रखने के लिए तकिया भी दिया। वहीं छोटे बेटे सुरेश कुमार ने बताया कि नहीं मालूम था कि मां की तबीयत बिगड़ी है।