द फॉलोअप टीम, दुमका:
झारखंड के गिने-चुने स्थानों में शिकारीपाड़ा एक ऐसा स्थान है जिसका नाम सामने आते ही अवैध पत्थर उत्खनन एवं अवैध कोयला और अवैध कारोबार का नक्शा आंखों के सामने आ जाता है। वर्तमान समय में शिकारीपाड़ा पत्थर औद्योगिक क्षेत्र भले ही मंदी एवं बंदी के कारण अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है परंतु अवैध कोयले का कारोबार धड़ल्ले से जारी है।
जोखिम में डाली जाती है श्रमिकों की जान
प्रशासन के नाक के नीचे दिन के उजाले में पहाड़ों को खोखला करते हुए और मजदूरों की जान को जोखिम में डालकर कोयला माफिया अवैध कोयले का खनन करवा रहे हैं। शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के बादल पाड़ा-खड़ी जोल एरिया में अभी वर्तमान समय में कोयले का अवैध खदान चल रहा है जिसे देखने वाला कोई नहीं। ना तो पुलिस प्रशासन और ना ही वन विभाग इस पर कोई संज्ञान ले रहा है। सुदूर जंगलों के अंदर कोयले का उत्खनन कर डंप किया जा रहा है।
पड़ोसी राज्यों में खपाया जाता है पूरा कोयला
उत्खनित कोयला को मोटरसाइकिल, चाइना ट्रॉली एवं अन्य वाहनों से बंगाल तथा दूसरे प्रदेशों में ख़पाया जाता है। वहां काम कर रहे मजदूरों एवं अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के सरसाजोल गांव के निवासी विष्णु मंडल पिता हाबला मंडल इस पूरे अवैध कोयले के उत्खनन का किंग है। विष्णु मंडल द्वारा बादल पाड़ा खड़ी जोल एरिया के जमाबंदी एवं वन क्षेत्र में कई कोयले का खदान अवैध रूप से चलाया जा रहा है। बताते चलें कि पिछले वर्ष ऐसे ही अवैध कोयला खदानों में लगी आग ने भयंकर रूप ले लिया था जिसे बाद में प्रशासन ने डोजरिंग कर बुझाया था। यदि समय रहते विभाग एवं प्रशासन नहीं चेती तो बादल पाड़ा क्षेत्र में कभी भी भयंकर दुर्घटना घट सकती है।