द फॉलोअप डेस्क
बिहार के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ, जब केंद्र सरकार ने मैथिली भाषा को संसद के भाषणों के अनुवाद में शामिल करने का फैसला लिया। इस कदम से बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को एक नई पहचान मिली है और राज्य के लाखों मैथिली भाषी लोगों को गर्व महसूस होगा। इस बारे में बिहार के डिप्टी CM सम्राट चौधरी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी दी।
सम्राट चौधरी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, "बिहार की गौरव भाषा मैथिली समेत 6 अन्य भारतीय भाषाओं को संसदीय कार्यप्रणाली का हिस्सा बनाया गया है। अब इन भाषाओं में भी लोकसभा की कार्यवाही का त्वरित भाषांतर होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में मखाने से लेकर मैथिली तक, बिहार का सम्मान लगातार बढ़ रहा है।
हर बिहारवासी के लिए गौरव का क्षण!
— Samrat Choudhary (@samrat4bjp) February 11, 2025
बिहार की गौरव भाषा मैथिली समेत 6 अन्य भारतीय भाषाओं को संसदीय कार्यप्रणाली का हिस्सा बनाया गया है। अब इन भाषाओं में भी लोकसभा की कार्यवाही का त्वरित भाषांतर होगा।
प्रधानमंत्री @NarendraModi जी के नेतृत्व में मखाने से लेकर मैथिली तक, बिहार का… pic.twitter.com/0RkFuypvfh
केंद्र सरकार ने संसद में दिए जाने वाले भाषणों के अनुवाद की प्रक्रिया में छह नई भाषाओं को जोड़ा है, जिनमें मैथिली भी शामिल है। इससे पहले, संसद में भाषणों का अनुवाद 22 भाषाओं में होता था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 28 हो गई है।
यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उठाया गया है, जिसका उद्देश्य देश की भाषाई विविधता को सम्मानित करना है। अब मैथिली बोलने वाले लोग संसद की चर्चाओं को अपनी मातृभाषा में समझ सकेंगे, जो बिहार के लिए एक बड़ा सम्मान है।
प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने संसद के भाषणों के अनुवाद में बोडो, डोगरी, मैथिली, मणिपुरी, उर्दू और संस्कृत जैसी छह नई भाषाओं को शामिल किया है। अब संसद के भाषणों को कुल 28 भाषाओं में अनुवादित किया जा सकता है। यह कदम देश की भाषाई विविधता को मान्यता देने के लिए उठाया गया है, जिससे सभी भाषाई समुदाय अपनी मातृभाषा में संसद की चर्चाओं को समझ सकेंगे।