द फॉलोअप टीम, रांचीः
रोजी-रोटी की तलाश में पलायन और विस्थापन झारखंड की प्रमुख समस्या है। इसके कारण हर साल हजारो लोग राज्य के बाहर जाते हैं। पेट की भूख उन्हें सात समुंदर पार तक ले जाती है। कई बार ऐसे लोग दलालों के चक्कर में पड़कर विदेशों में ही फंस जाते हैं। ताजा मामला हजारीबाग और गिरिडीह जिले का है। द फॉलोअप ने आपको 16 जनवरी को आपको खबर बताई थी कि माली देश में फंसे झारखंड के मजदूरों ने वीडियो जारी कर मुक्त कराने की लगाई गुहार। इस खबर के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने तुरंत मंत्री सत्यानंद भोक्ता को श्रमिकों तक हर संभव मदद पहुंचाने का निर्देश दिया था। इस प्रयास के बाद कंपनी ने उन 33 मजदूरों का बकाया वेतन भुगतान करने एवं सभी के माली से रांची तक की फ्लाइट टिकट की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी ली है।
इस तरह हुआ प्रयास
मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने ट्वीटर के जरिए ही मजदूरों का संपर्क सूत्र पता कर लेबर कमिश्नर, झारखण्ड सरकार को माली स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क करने का निर्देश दिया था। बता दें कि इन 33 मजदूरों को विष्णुगढ़ के रूपलाल महतो के माध्यम से आंध्रप्रदेश के केएसपी नामक ठेकेदार माली ले गया था। ठेकेदार भी वहां से भाग गया है। पिछले चार महीने का से उन्हें वेतन नहीं मिला है। वे दाने-दाने के लिए मोहताज हैं। एक दिन का खाना उनके पास बचा है। मजदूरों ने केंद्र और राज्य सरकार से मुक्त कराने की मांग करते हुए भारत सरकार व झारखंड सरकार के नाम त्राहिमाम संदेश भेजा था।
भारतीय दूतावास में राजनायिक को लिखा पत्र
मजदूरों से तत्काल संपर्क स्थापित कर एवं उनसे उनकी समस्या की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के बाद लेबर कमिश्नर, ए मुथूकुमार ने माली स्थित भारतीय दूतावास के राजनयिक अंजनी कुमार से संपर्क कर मजदूरों की समस्या के समाधान का आग्रह किया। माली के बमाको स्थित भारतीय दूतावास ने राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी पर संज्ञान लिया। दूतावास ने मजदूरों एवं कंपनी से संपर्क स्थापित किया। दोनों ही पक्षों को मामले के समाधान के लिए 18 जनवरी को बैठक के लिए आमंत्रित किया गया। आयोजित बैठक के दौरान कंपनी के अधिकारियों ने मजदूरों का बकाया वेतन भुगतान करने एवं सभी 33 मजदूरों के माली से रांची तक की फ्लाइट टिकट की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी ली।
फ्लाइट मिलने तक माली में ही रहेंगे मजदूर
फ्लाइट मिलने तक ये सभी मजदूर श्रमिक जब तक माली में रहेंगे, उनके रहने, खाने एवं किसी भी प्रकार की आपात व्यवस्था के लिए कंपनी जिम्मेवार होगी। इस मध्यस्थता पत्र पर श्रमिकों की तरफ से एक प्रतिनिधि एवं कंपनी की ओर से एक प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर किया। साथ ही, भारतीय दूतावास के दो उच्च अधिकारियों ने इस पर सहमति जताई। दूतावास ने कंपनी को मजदूरों से नो ड्यूज सर्टिफिकेट प्राप्त कर उनकी घर वापसी की व्यवस्था पूरी कर सूचित करने का निर्देश भी दिया है।