द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
ओमिक्रॉन वेरिएंट का खतरा विश्व में बढ़ता ही जा रहा है। कई देशों में इससे संक्रमित मरीज मिले हैं। भारत में अब तक ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित 213 मरीज मिले हैं जिनमें से 90 ठीक हो चुके हैं। हालांकि, चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या ओमिक्रॉन से बचाव के लिए कोविड टीका का बूस्टर डोज नागरिकों को लगाना चाहिए। भारत में इसका जवाब हां में मिलता दिख रहा है। भारत में तो भारत बायोटेक ने कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज बना लिया है। डीजीसीआई को ट्रायल रिपोर्ट सौंपी गई है।
ओमिक्रॉन से बचाव के लिए बूस्टर डोज जरूरी
क्या ओमिक्रॉन से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन का टीका जरूरी है। इस सवाल के जवाब में आईएलबीएस दिल्ली के डॉ. एसके सरीन ने कहा कि मेरी राय में बूस्टर डोज जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई किसी टीके की 2 डोज लगवाता है तो वायरस से सुरक्षा के स्तर में 3 से 6 माह के भीतर गिरावट आती है। उन्होंने कहा कि बूस्टर डोज लगते ही गंभीर संक्रमण अथवा अस्पताल में भर्ती होने की संभावना काफी कम हो जाती है। उनका कहना था कि कोविड शुरुआती चरण में हल्के लक्षणों के साथ सामने आता है। जैसे-जैसे मामले उभरने लगते हैं, उसके पैटर्न में बदलाव आता है। इसका आकलन सावधानी से किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री ने संसद में बूस्टर डोज पर क्या कहा
बूस्टर डोज की जरूरत पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने संसद में कहा कि बूस्टर डोज की जरूरत पर समय, ओमिक्रॉन के मामलों की बढोत्तरी, वैज्ञानिक निर्णय और सोच के आधार पर फैसला किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमें ओमिक्रॉन के संदर्भ में इस पर विचार करना होगा। देखना होगा कि किसे टीके की जरूरत है।
फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगना चाहिए बूस्टर डोज
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को बूस्टर डोज दिया जाना चाहिए। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है या जिन्हें गंभीर किस्म की बीमारी है, उन नागरिकों को भी कोविड टीके का बूस्टर डोज लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार इस बारे में जरूर कुछ ना कुछ सोच रही होगी।