द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड में हेमंत सरकार की तैयारी क्या शराब बेचने की है। ये सवाल अब तेजी से उठ रहा है। रघुवर सरकार ने जब शराब बेचने का निर्णय लिया था, तो जेएमएम और कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। वहीं शराब बेचने से न सिर्फ सरकारी राजस्व की कमी हुई बल्कि दुकानों की संख्या भी काफी कम हो गई थी। इसके बाद रघुवर सरकार ने अपने फैसले को वापस लेते हुए फिर से शराब निजी हाथों में देने का फैसला किया। जब यह योजना नाकाम हो गई तो फिर हेमंत सरकार फिर से ऐसे ही सफर पर चलने को क्यों तैयार है।
2460 करोड़ का सरकार का लक्ष्य
राज्य के अपने राजस्व स्रोतों में उत्पाद से मिलनेवाले राजस्व की स्थिति सबसे खराब है। उत्पाद विभाग का वार्षिक लक्ष्य 2463 करोड़ रुपये है। इसके मुकाबले नंवबर तक 1016.70 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। राज्य के अन्य सभी राजस्व स्रोतों की वसूली 45 से 55 प्रतिशत के बीच है। उत्पाद राजस्व की खराब स्थिति देखते हुए अब फिर से उत्पाद नीति में बदलाव पर विचार हो रहा है।
1984 से 2012 तक थोक शराब का कारोबार निजी हाथों में
इसके पूर्व राज्य सरकार देशी और विदेशी शराब का व्यापार वर्ष 2012 में गठित जेएसबीसीएल के माध्यम से करती थी। शराब की खुदरा दुकानों का संचालन भी जेएसबीसीएल के जरिये ही होता था, लेकिन, राजस्व में कमी की बात करते हुए उत्पाद विभाग ने नियमावली में बदलाव करते हुए निजी कंपनियों और व्यापारियों के लिए दरवाजा खोला था। पर, अब नयी नीति में भी बदलाव पर विचार हो रहा है।
छत्तीसगढ़ मॉडल की ओर सरकार का झुकाव
राज्य सरकार का झुकाव छत्तीसगढ़ मॉडल की ओर है। उत्पाद आयुक्त अमित कुमार के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम छत्तीसगढ़ में शराब बिक्री के मॉडल का अध्ययन करके आयी है। टीम ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इसके बाद फिर से एक बार उच्च स्तरीय कमिटि भेजी गई जो एक बार फिर छत्तीसगढ़ से वापस लौट आई है। अब राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 में छत्तीसगढ़ मॉडल पर उत्पाद नीति लागू करने पर विचार कर रही है। आपको बता दें कि इसी साल से शराब की बिक्री में झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) का एकाधिकार खत्म कर दिया गया। निजी कंपनियों और व्यवसायियों को शराब की थोक ब्रिक्री के लिए लाइसेंस दिया गया। उस दौरान में भी विपक्ष सरकार पर कई गंभीर आरोप लगा रहे थे।
छत्तीसगढ़ में सरकार करती है शराब का व्यापार
छत्तीसगढ़ में शराब का व्यापार राज्य सरकार द्वारा संचालित किया जाता है। वहां शराब के थोक और खुदरा व्यापार पर सरकार का नियंत्रण है। निजी कंपनियों और व्यापारियों को व्यवस्था में शामिल नहीं किया गया है। लेकिन CGSMCL जहां से दारू खरीद करती है, और जो कंपनी मैन पावर सप्तालई करता है। उसके लोकर वहां भी सवाल खड़ा होता रहता है।