द फॉलोअप टीम, रांची:
भाजपा विधायक दल के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। जिसमें लिखा है कि सरकार शराब ठेके के आंवटन में अपनाई गई प्रक्रिया की तरह ही सिंडिकेट के लोगों के हाथों में बालू घाटों को देने की साजिश कर रही है। झारखण्ड में लगभग 540 बालू घाट हैं। इन सभी बालू घाटों को राज्य से बाहर के लोगों के हाथों में सौंपने की तैयारी सरकार द्वारा की जा रही है। बालू घाटों की बन्दोबस्ती में जेएसएमडीसी द्वारा प्रकाशित निविदा एनआईटी में भागीदारी के लिए जटिल प्रक्रिया, नियम एवं शर्तें ऐसी बनाई गई हैं ताकि स्थानीय लोग इस प्रक्रिया में भाग ही नहीं ले सके, जो बिल्कुल ही गलत एवं असंवैधानिक है। इससे सरकार की मंशा साफ झलकती है कि झारखंडियों के साथ आप के नेतृत्व में चल रही सरकार का रवैया कितना हितकारी है।
Mining Developer- Cum- Operator की नियुक्ति प्रकिया को स्थगित करने की मांग
बाबूलाल ने Mining Developer- Cum- Operator की नियुक्ति प्रकिया को स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि बालू उत्खनन एवं बिक्री में निर्धारित मापदंड को अपनाए बिना एमडीओ की नियुक्ति विधि समत नहीं है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा बालू उत्खनन एवं बिक्री हेतु कई नीतियाँ निर्धारित की गई हैं, जिसे झारखण्ड सरकार ने भी स्वीकारा है। यथा-बालू घाटों की पहचान, बालू घाटों के नाम की सूची, पर्यावरणीय सुरक्षा, क्षेत्र की संरचना एवं घाटों का जिला सर्वेक्षण रिर्पोट जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सम्पूर्ण रिपोर्ट तैयार किए बिना जेएसएमडीसी द्वारा बालू घाटों के लिए एमडीओ की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना असंवैधानिक एवं अव्यवहारिक है।
अनियमितताओं पर कौन करेगा कार्रवाई
बाबूलाल आगे लिखते हैं, दूसरा महत्वपूर्ण एवं आश्चर्य की बात है कि खान व खनिज विभाग के सचिव एवं जेएसएमडीसी के प्रबन्ध निदेशक के पद पर एक ही पदाधिकारी को पदस्थापित किया गया है। ऐसी स्थिती में जब जेएसएमडीसी द्वारा बरती गई कई अनियमितताओं पर कौन एवं कैसे कार्रवाई हो सकती है, जब एक ही अधिकारी दोनों पदों पर आसीन हो। इस महत्वपूर्ण मामले में झारखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 11.10.2007 को सरकार को आदेश दिया गया है कि जेएसएमडीसी के प्रबन्ध निदेशक पर स्थायी नियुक्ति होनी चाहिए। लेकिन सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर खान व खनिज के सचिव को ही जेएसएमडीसी के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार द्वारा निजी स्वार्थ में एक ही पदाधिकारी को दोनों जिम्मेवारी दी गई है जिसके रहते झारखण्ड के खान-खनिज को लूटने में सहूलियत हो सके।
पूजा सिंघल पर भी उठाये सवाल
पत्र में उन्होने ये भी लिखा है कि पूजा सिंघल पर खूंटी में उपायुक्त पद पर रहते हुए करोड़ो रुपये के गबन का आरोप है। इसके समय में सरकारी पैसे का करोड़ों में बंदरबाँट हुआ था। इस घोटाले में शामिल एक अभियन्ता को बर्खास्त भी किया जा चुका है। तात्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल पर सरकारी राशि के गबन की जाँच भी अभी लम्बित है। ऐसी परिस्थिति में इनके रहते बालू घाटों की बन्दोबस्ती प्रक्रिया नियम सम्मत एवं पारदर्शी तरीके से संभव नहीं है। बालू घाटों की बंदोबस्ती में राज्य में मूलवासियों एवं आदिवासियों के समुचित भागीदारी सुनिष्चित कराने हेतु नियम और शर्तों में सरलीकरण करने की जरूरत है अन्यथा यहाँ के लोग ठगे महसूस करेंगे।