द फॉलोअप टीम, रांची:
डोरंडा स्थित सूफी-संत हजरत रिसालदार के दरगाह का मंजर जुमेरात (गुरुवार) जैसे पाक दिन पाकीज़ा ही था। कोई बार-बार चादर थाम चूमने को उतावला रहा, तो कोई दरगाह की जाली अपनी पकड़ से छोड़ने को राज़ी ही नहीं। किसी की आंखों में मन्नत उतरकर बिलखती रही, तो किसी आंखें मांगी दुआ के पूरे होने पर चमकती हुई। जिक्र बाबा के पांच दिवसीय उर्स के पहले दिन का है। कोरोनकाल के सबब दरगाह कमेटी बार-बार मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत देती रही। लेकिन ज़मीन पर ऐसा दिखा नहीं। जबकि जगह-जगह मास्क और सेनेटाइजर रखा हुआ था। क़रीब 200 साल में दूसरी बार उर्स मैदान में सन्नाटा है। जबकि हर साल 200 से ढाई सौ दुकानें सजा करती थीं। तरह तरह के झूले लगा करते थे।
सदर हाजी रउफ गद्दी की अगुवाई में 4.30 बजे मजार पर पहली चादरपोशी हुई। वंचितों को सुबह नाश्ता कराया गया। उसके बाद परचम कुशाई और मजारशरीफ के गुसुल से बाजाप्ता उर्स का आगाज हुआ।
कव्वाली का मुकाबला कौसर जानी और शहंशाह ब्रदर्स के बीच हुआ
हाजी रऊफ के आवास पर कव्वाली का मुकाबला कौसर जानी और शहंशाह ब्रदर्स के बीच हुआ। उर्स शुरू होते के साथ लंगर खानी सुबह से शाम तक चलता रहा और यह सिलसिला पूरे पांच दिनों तक चलेगा। कोविड-19 को देखते हुए सरकारी गाइडलाइन का पूरा-पूरा पालन करते हुए सारा कार्यक्रम हो रहा हैदरगाह कमेटी के प्रवक्ता प्रोफेसर जावेद अहमद खान ने बताया कि उर्स के दूसरे दिन 22 अक्टूबर को ऐतिहासिक परचम कुशाई होगी, जो 65 फिट ऊंचा है। जिसमे चांदी का चांद तारा लगा होगा। जुमा नमाज़ के बाद 2:30 बजे कमेटी के अध्यक्ष परचम कुशाई करेंगे। 23 अक्टूबर ख़ानक़ाही कव्वाली होगी। 24 अक्टूबर को कमिटि के महासचिव मो फ़ारूक़ के आवास से शाही संदल व चादर निकलेगी और बाद नमाज़ असर चादर पोशी की जाएगी।
कौन-कौन हुआ शरीक
मौके पर कमेटी के संरक्षक आसिफ अली, शाकिर अली, अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष कमाल खान, उपाध्यक्ष हाजी जाकिर, उप सचिव शोएब अंसारी, अली अहमद, जावेद खान, गुलाम खाजा, अतीक उर रहमान गद्दी, मंजूर हबीबी, इकबाल राइन, मो शाहिद, पार्षद नसीम उर्फ पप्पू गद्दी, इरफान खान, हाजी मुस्ताक, सैफ अली, हाफिज मुख्तार कुरैशी, पप्पू बिरयानी, हाजी मुख्तार कुरैशी, मो मंसूर, बबलू पंडित, नईम उल्ला खान, काज़ी मसूद फरीदी, शाहजाद बबलू, मो नक़ीब शराफत हुसैन, अब्दुल मन्नान, मो हुसैन, सोहेल अख्तर, मो शाहिद, मो साज़िद, अफ़रोज़ उर्फ गुड्डू एवं मोहम्मद नसरुद्दीन आदि ने कमिटि के हर एक कार्य मे अपना सहयोग दिया।