द फॉलोअप टीम, बेंगलुरु:
कोरोना काल में लोगों ने क्या-क्या मुश्किलें नहीं झेली। हजारों लोगों ने अपनों को खो दिया। लोग ऑक्सीजन और दवाइयों के लिए भटकते और तड़पते दिखे। इस बीच लॉकडाउन ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी। हालात यहां तक आ पहुंचे कि लोगों को जरूरत की चीजों का इंतजाम करने के लिए वो सब करना पड़ा जिसकी कल्पना मात्र से ही हमारा और आपका शरीर सिहर जाये।
कर्नाटक के मैसूर की है पूरी घटना
ताजा कहानी कर्नाटक की है। कर्नाटक के मैसूर में कोप्पलू गांव में आनंद नाम का शख्स रहता है। आनंद की उम्र तकरीबन 45 वर्ष है। आनंद ने हाल ही में 300 किमी की दूरी साइकिल से तय की। वे कोप्पलू गांव से बेंगलुरु गए। क्या उनको लॉकडाउन में एंडवेंचर का शौक था, जवाब होगा नहीं। सवाल फिर वही है कि आखिर आनंद ने 300 किमी तक साइकिल क्यों चलाई। आनंद ने ये जोखिम क्यों उठाया। उन्हें लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच बेंगलुरू जाने की जरूरत क्यों पड़ी।
आनंद के बेटे को गंभीर बीमारी है
मिली जानकारी के मुताबिक कोप्पलू गांव में रहने वाले 45 वर्षीय आनंद के बेटे को गंभीर बीमारी है। उसे प्रतिदिन जीवन रक्षक दवाइयों की जरूरत पड़ती है। लॉकडाउन की वजह से अधिकांश दुकानें बंद हैं। वैसे भी आनंद के बेटे के लिए जो दवाइयां चाहिए वो कोप्पलू गांव या उसके आसपास के इलाके में नहीं मिलती। यही वजह है कि आनंद को बेंगलुरू जाना पड़ा दवाइयां लाने के लिए। लॉकडाउन की वजह से गाड़ियां बंद है। यही वजह है कि आनंद साइकिल से गये।
बेंगलुरु जाने में पूरे तीन दिन लगे
आनंद ने कहा कि उन्होंने अपने गांव सहित आसपास के इलाकों में अपने बेटे के लिए दवाइयों की तलाश की। तमाम मेडिकल शॉप पर गया लेकिन दवा नहीं मिली। मेरे बेटे को गंभीर बीमारी है। वो 1 दिन के लिए भी दवाइयां नहीं छोड़ सकता। इसलिए में 300 किमी साइकिल चलाकर बेंगलुरु गया ताकि दवाइयां ला सकूं। आनंद ने बताया कि उन्हें इस काम में पूरे तीन दिन लगे।