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पीएम कुसुम सोलर वाटर पंप से किसानों को कितना फायदा, अन्नदाताओं ने साझा किया अनुभव

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द फॉलोअप टीम, खूंटी: 

झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जेरेडा) और केंद्रीय नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में खूंटी जिले में किसानों के साथ एक संवाद-परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य पीएम कुसुम सोलर वाटर पंप योजना के तहत लाभार्थियों से सोलर पंप के उपयोग से हो रहे अनुभवों के बारे में जानना था। कुसुम सोलर पंप योजना के जरिए किसानों की फसल लागत घटाने और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास जारी है। 

 

किसानों के बीच सोलर पंप सेट का प्रसार
झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जेरेडा) के निदेशक केके वर्मा ने बताया कि "हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि पीएम कुसुम योजना के तहत जरूरतमंद किसानों के बीच सोलर पंप सेट का प्रसार बढ़ाया जाये, क्योंकि ये योजना उन सुदूरवर्ती क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जहां ग्रिड बिजली की पहुंच नहीं है। डीजल आधारित पंप सेट के बजाय स्वच्छ अक्षय ऊर्जा के जरिए सिंचाई सुविधा एवं अन्य कृषि गतिविधियों को मजबूती दी जा सकती है। एक स्टेट नोडल एजेंसी के रूप में जेरेडा राज्य के कृषि क्षेत्र समेत सभी प्रमुख आर्थिक गतिविधियों में अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।"

 

लाभुकों का केवल 3 फीसदी का योगदान है
पीएम कुसुम योजना प्रदूषण से मुक्त स्वच्छ ऊर्जा आधारित सिंचाई सुविधा को प्रोत्साहित करती है, जिसके तहत लाभुक को केवल 3 प्रतिशत योगदान देना होता है, बाकि 67 प्रतिशत राज्य सरकार और 30 प्रतिशत केंद्र सरकार का योगदान होता है। ऐसे में यह बेहद किफायती और सुविधाजनक भी है। चूंकि इस पंप का जीवन काल 25 वर्षों का है और इसके रख-रखाव का खर्च भी न्यूनतम है, इसलिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आमदनी में वृद्धि में यह कारगर भूमिका निभा रही है। 

 

किसानों ने संवाद-परिचर्चा में अपना अनुभव रखा
संवाद-परिचर्चा में किसानों ने अपने अनुभवों को भी सामने रखा। एक किसान सुखदेव मुंडा ने बताया कि सोलर ऊर्जा से सिंचाई करने से उनकी फसल की लागत घट गई है और यह उपयोग में बेहद आसान भी है, क्योंकि इसके इस्तेमाल में कोई झंझट नहीं है। किफायती सिंचाई सुविधा से हमारी लागत घट रही है और पारंपरिक बिजली और डीजल पर से निर्भरता कम हो गई है। एक अन्य महिला किसान शक्ति देवी ने कहा कि ये पहल हम जैसे किसानों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो रही है। पहले डीजल में काफी पैसा खर्च हो जाता था। इससे पर्यावरण को भी फायदा है, क्योंकि इसे मिट्टी और पानी प्रदूषित नहीं होता। हम अन्य किसानों को भी इसे अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.