द फॉलोअप टीम, साहिबगंज:
कश्मीर के श्रीनगर में 3 अक्टूबर 2017 के आतंकी हमले में शहीद हुए ब्रजकिशोर यादव का परिवार तीन साल से सरकारी नौकरी के इंतजार में है। बीएसएफ के 182 बटालियन के एएसआई का परिवार झारखंड के साहिबगंज जिले में रहता है। परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और दो बेटियां हैं। बेटे अभिषेक किशोर को सरकारी नौकरी देने वादा तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवार दास ने किया था। आश्वासन के बाद पत्राचार हुआ, सभी तरह के डॉक्यूमेंट मांगे गए, उनका वेरिफेकेशन हुआ, घर पर लेटर भी आया और अभिषेक को टाइपिंग के लिए भी बुलाया गया। लेकिन इसके बाद कार्यवाही रुक गई और अभी तक सरकार द्वारा शहीद के परिवार को किया वादा पूरा नहीं किया जा सका है।
सरकारी वादे के बाद बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी, अब सरकार मौन
शहीद ब्रजकिशोर के बेटे को बीएसएफ में नौकरी मिल रही थी, लेकिन सरकारी वादे के बाद उन्होंने बीएसएफ की नौकरी नहीं की। बीएसएफ से एनओसी लिया और सराकारी प्रक्रिया का इंतजार करने लगे। इस बीच सरकार भी बदल गई, परिवार दर्जनों बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा चुका है। न तो सरकार की तरफ से कुछ कहा जा रहा है और ना ही प्रशासन यह स्पष्ट कर रहा है कि नौकरी देने में विलंब क्यों हो रही है।
स्थानीय पते को लेकर नौकरी देने में दिक्कत
डीसी कार्यालय से परिवार को जानकारी मिली है कि उनका पता पीरपैती का है, जो कि बिहार के भागलपुर जिले का है। ऐसे में झारखंड सरकार उन्हें नौकरी नहीं दे सकती है। जबकि परिवार 1990 से साहिबगंज के बिजलीघाट में रह रहा है, उनका आवासीय प्रमाण पत्र भी यहीं का है। आश्वासन देने, डॉक्यूमेंट वेरिफेकेशन और तमाम कागजी प्रक्रिया के दौरान इस बात की जिक्र नहीं किया गया। अभी भी परिवार को सामने से नहीं कहा जा रहा है।
मुख्यमंत्री से मिल चुके है परिवार
ब्रजकिशोर का परिवार नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिल चुका है। परिवार के मुताबिक मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि वे फाइल देखकर आगे की कार्यवाही पूरी करेंगे। इसके बाद कई बार परिजनों ने पता किया, जानकारी मिली कि फाइल सीएम आवास में ही है। मुख्यमंत्री से मिले 6 महीने हो गए, लेकिन अभी तक परिवार को नौकरी नहीं मिली है।