मोहित कुमार, दुमका:
दुमका जिला के गोपीकांदर प्रखंड स्थित खरौनी बाजार पंचायत का आदिवासी बहुल गांव दुंदवा झारखंड गठन के 20 वर्षों बाद भी सड़क, पेयजल, शिक्षा और पेयजल जैसी मूलभूत समस्या के अभाव से जूझ रहा है। दुंदवा टोला में कुल सात टोला हैं जहां तकरीबन 200 मकान है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव को जिला या प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने के लिए पक्की सड़क नहीं है।
दुंदवा गांव तक पक्की सड़क नहीं जाती
दुमका के दुंदवा गांव में कुल सात टोले हैं। किसी भी टोले में पक्की सड़क नहीं है। कुछ साल पहले कुछ टोलों में पीसीसी सड़क बनाने का कार्य शुरू किया गया था लेकिन पूरा नहीं किया जा सका। गांव तक जाने का पूरा रास्ता पथरीला है। इस वजह से हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है। रात-बिरात कभी किसी को अस्पताल पहुंचाना हो तो ये काफी चुनौती भरा काम है। कई बार यहां गर्भवती महिलाओं को वक्त में हॉस्पिटल तक पहुंचाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
बीमारों को हॉस्पिटल पहुंचाने में मुश्किल
गांव तक जाने वाली सड़क पथरीली होने की वजह से इतनी ज्यादा उबड़-खाबड़ है कि गांव से किसी गर्भवती महिला या बीमार व्यक्ति को मुख्य मार्ग तक पहुंचाना हो तो खटिया का सहारा है। एंबुलेंस इस गांव तक नहीं पहुंच सकता। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार ग्राम सभा की बैठक कर गांव में मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर आवेदन जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को दिया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीण गांव में एक पीसीसी सड़क की मांग को लेकर मुखिया से लेकर सांसद तक से गुहार लगा चुके हैं लेकिन केवल आश्वासन ही मिल पाया है।
आश्वासन मिलने से आक्रोशित हैं ग्रामीण
सुविधा मांगने पर केवल आश्वासन मिलने से ग्रामीणों में काफी नाराजगी है। ग्रामीण अपने-आप को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार से ये मांग है कि दुंदवा गांव में पीसीसी सड़क का निर्माण करवाया जाए अन्यथा उनको आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा। चुनाव के वक्त भी वोट भी नहीं देने की बात कही है।
मुख्यमंत्री के भाई हैं यहां से विधायक
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीते विधानसभा चुनाव में यहां से जीत दर्ज की थी। बरहेट विधानसभा के हक में दुमका सीट छोड़ने पर उनके भाई बसंत सोरेन यहां से विजयी हुए। झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीम शिबू सोरेन यहां से सांसद रह चुके हैं। पिछली सरकार में मंत्री रहीं डॉ. लुईस मरांडी दुमका से विधायक रह चुकी हैं। बावजूद इसके उस जिले के एक गांव में एक अदद पक्की सड़क का ना होना कितना दुर्भाग्यपूर्ण है ये सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।