द फालोअप टीम, रांची:
बसरता मौसम। संगीत की बहती स्वर लहरियों का संग देती मीठी-मुलायम आवाज़। डीपीएस की दसवीं की छात्रा नशिता इमाम के कंठ जब खुले तो गायक मोहम्मद अज़ीज़ का गीत गूंजा, ना फ़नकार तुझसा तेरे बाद आया मोहम्मद रफ़ी तू बहुत याद आया। अमर गायक मोहम्मद रफ़ी की याद में साज़ औरआवाज़ की यह महफिल चैंबर भवन में सजी थी। आयोजन ड्रीम नाईट म्यूसिकल ग्रुप ने चैंबर के साथ मिलकर किया था। इस नवांकुर फ़नकार ने अपने स्वर से रफ़ी के कई गीतों को सजाया। जिसमें मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम... और रिमझिम के गीत सावन गाये....शामिल रहे।
इन गायकों ने भी बांधा समां
आयोजक इस्लाम गद्दी ने आज की रात मेरे दिल की सलामी ले ले... से एक साथ रफ़ी और दिलीप को श्रद्वांजलि दी। इनके अलावा रूपा बर्देवा, नीलिमा ठाकुर, इमरान, चन्दू, भीम और तनवीर ने भी अपने नगमों से रफ़ी को याद किया। दानिश खान ने कार्यक्रम का संचालन किया। रफी की 41वीं पुण्यतिथि पर हुए इस कार्यक्रम का नाम ही था, एक शाम रफ़ी के नाम। मौके पर पिछले दिनों दिवंगत हुए ट्रेजडी किंंग दिलीप कुमार को भी श्रद्धांजलि दी गयी।
सदी के महान गायक रफ़ी: लछमन सिंह
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी लछमन सिंह ने मोहम्मद रफ़ी को सदी का महान गायक बताया। अंजुमन इस्लमिया के उपाध्यक्ष मंजर इमाम ने रफ़ी से जुड़ी रोचक बातों को साझा किया। कार्यक्रम में चेंबर की फ़िल्म, आर्ट, कल्चर सब कमेटी के चेयरमैन आनंद जालान, वार्ड संख्या 45 के पार्षद नसीम गद्दी और एन एस यू आई के इन्द्रजीत सिंह के अतिरिक्त चैम्बर के पदाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित रहे। गीत-संगीत की संध्या का आनंद फ़िल्म कलाकार देवेश खान, सेन्ट्रल मोहर्रम कमेटी के महासचिव अकीलुर्रहमान, मरहबा सोसाइटी के नेहाल अहमद, औरंंगज़ेब खान, निगार सुलताना और आरिफ़ हसन समेत कई अहम लोगों ने उठाया।