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डॉ. रामेश्वर उरांव ने गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर बापू वाटिका में किया द्वीप प्रज्वलन, बापू को किया नमन

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका में 1001 द्वीप प्रज्वलित किया गया। राज्य के वित्त सह खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम में आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव, डॉ, राजेश गुप्ता छोटू, अरविंद कुमार और अमरेंद्र सिंह ने भी हिस्सा लिया। डॉ. सुषमा केरकेट्टा एवं संगीता सिंह ने रघुपति राघव राजा राम गाया। एचएम पब्लिक स्कूल के शिक्षकों ने बैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जानी रे और साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल गाया। 

महात्मा गांधी के बताए रास्तों पर चलने की अपील
वित्त तथा खाद्य आपूर्ति डॉ0 रामेश्वर उरांव ने बापू वाटिका में गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर गांधी जी के आदर्शों और उनके दिखाये रास्ते पर सभी से चलने की अपील की। मीडिया कर्मियों से बात करते हुए डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि 2 अक्टूबर को बापू का आगमन हुआ था लेकिन हम आज से ही उनका स्वागत करते हैं। वो जब दुनिया में आए थे भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। उन्होंने सब कुछ छोड़ा। खुद को सेवा देश के लिए समर्पित कर दिया। एक समाज सुधारक, सांस्कृतिक सुधारक, आर्थिक व सामाजिक सुधारक के रूप में उन्होंने ख्याति हासिल की। उनके अंदर देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। उन्होंने राष्ट्रीयता का मतलब बताया। बापू किसी धर्म में नहीं बल्कि धर्म से एकता में विश्वास करते थे। सबके दिलों में प्रेम जगाया। महात्मा गांधी के अनुयायी के रूप में अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता हूं। बापू हमारे और देश के सर्वोच्च नेता थे जो कल तक उनके आलोचक थे आज वे भी उन्हें नमन करते हैं।

गांधीजी ने पूरे विश्व को सत्य का रास्ता भी दिखाया था
पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि गांधीजी ने कहा था कि सत्य एक है और उस पर चलने के मार्ग कई हो सकते हैं। उनका यह कहना सर्वथा उचित है कि व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं हैं। वह जो सोचता है, वह बन जाता है। उनकी यह बात अब भी सत्य प्रतीत होता है कि कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता और क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है। ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है। यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है। धैर्य का एक छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर हैं।

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गांधीजी ने क्रोध पर मौन के जरिये विजय पाने का रास्ता बताया
पासवा के प्रदेश उपाध्यक्ष लालकिशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि बापू का यह कथन आज भी युवा पीढ़ी के लिए उतना ही प्रसांगिक है कि गौरव लक्ष्य पाने के लिए कोशिश करने में हैं, न कि लक्ष्य तक पहुंचने में है, आप जो करते हैं वह नगण्य होगा, लेकिन आपके लिए वह करना बहुत अहम है। हम जो करते हैं और हम जो कर सकते हैं, इसके बीच का अंतर दुनिया की ज्यादा समस्याओं के समाधान के लिए  पर्याप्त होगा।  पासवा के प्रदेश महासचिव डॉ0 राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि युवा पीढ़ी गांधी जी के उस कथन को हमेशा याद रखें कि क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। साथ ही गरीबी दैवी अभिशाप नहीं हैं, बल्कि मानवरचित षड़यंत्र है। जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं हैं।  

कमजोरियों की स्वीकारोक्ति के जरिये ही व्यक्ति मजबूत होता है
पासवा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविन्द कुमार ने कहा कि प्रार्थना मांगना नहीं है, यह आत्मा की लालसा है, यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन न लगाने से बेहतर है।  डॉ. सुषमा केरकेट्टा ने कहा कि अपनी गलती को स्वीकारना झाडू लगाने के समान है। जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ कर देती है। केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है, जिसे आप दूसरे पर छिड़के तो उसकी कुछ बूंदे अवश्य ही आप पर भी पड़ती है।