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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार, याचिका कर्ता पर लगा 1 लाख रुपये का जुर्माना

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली: 

केंद्र सरकार की सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से मना कर दिया है। कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले शख्स के ऊपर ही 1 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट को जबरन रोकने की कोशिश की गई। 

दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की थी याचिका
गौरतलब है कि सेंट्रेल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। याचिका में तर्क दिया गया था कि दिल्ली में इस वक्त तमाम निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा है, बावजूद इसके सेंट्रेल विस्ट्रा प्रोजेक्ट का काम जारी है। याचिका में ये भी कहा गया था कि प्रोजेक्ट में इस समय पांच सौ से भी ज्यादा मजदूर लगाए गए हैं। इनमें और फिर इनके जरिए कोरोना फैलने का खतरा है। याचिका में ये भी कहा गया था कि देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। स्वास्थ्य आधारभूत ढांचा में कमी है। ऐसे वक्त में 20 हजार करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट औचित्यहीन है। 

कोर्ट का सेंट्रल विस्टा पर रोक लगाने से इंकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार पहले ही प्रदेश में कंट्रक्शन गतिविधियों पर लगाई गई रोक हटा चुकी है। लोगों की रूचि इस प्रोजेक्ट में है। इस कार्य को नंवबर में पूरा करने का कॉन्ट्रैक्ट पहले से ही है। अदालत ने कहा कि ये अहम पब्लिक प्रोजेक्ट है। ये राष्ट्रीय महत्व का प्रोजेक्ट है। कोर्ट ने ये भी कहा कि इस प्रोजेक्ट की वैधानिकता साबित हो चुकी है। सरकार को नंवबर 2021 तक इस काम को पूरा कर लेना है। रोक नहीं लगाई जा सकती। कोरोना के संभावित खतरे पर अदालत ने कहा कि सभी श्रमिक निर्माणस्थल पर ही रहते हैं। वहां कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इसलिए ये रोक लगाने का आधार नहीं हो सकता। 

जानिए! आखिर क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
गौरतलब है कि सेंट्रेल विस्टा प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना है। इस प्रोजेक्ट के जरिए नया संसद भवन, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आवास, तमाम महत्वूपर्ण मंत्रालयों के कार्यालय और सांसदों के लिए आवास का निर्माण किया जाना है। विपक्षी पार्टियां कहती हैं कि ये केवल और केवल मोदी सरकार द्वारा अपनी विरासत खड़ा करने की कोशिश है वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि आने वाले समय में सांसदों की संख्या बढ़ने की प्रबल संभावना है। पुराने संसद भवन में वो संभव नहीं हो पायेगा इसलिए नए संसद भवन का निर्माण किया जा रहा है।