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बिना निविदा के नई कंपनी को कैसे दे दिया गया काम, कांग्रेस ने की करोड़ों राशि के गबन की जांच

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द फॉलोअप टीम, रांची:

कृषि विभाग के अंतर्गत ओफार्ज के माध्यम से परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत हनुमंत एसोसिएटस कंपनी को एक कार्यादेश दिया गया था। जिसमें वितीय वर्ष 2018-19 के लिए किसानों को मदद करने और उनके पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से 5 जिलों के करीब 41 हजार किसानों के बीच 200 लीटर क्षमता वाली प्लास्टिक ड्राम, वेस्ट डिक्पोजर और गुड़ का वितरण किया जाना था। करीब 6 करोड़ 19 लाख का यह कार्य बिना निविदा के हनुमंत एसोसिएटस, करम चौक विद्यानगर हरमू को दिया गया था। इस कंपनी को राज्य के कुल 5 जिलों रांची, हजारीबाग, रामगढ़, देवघर और सराइकेला के 59 प्रखंडों में करीब 41 हजार 300 किसानों के बीच उपरोक्त सामाग्री के वितरण करने का कार्य दिया गया था। कंपनी को प्रत्येक प्रखंड में करीब 700 किसानों को उपरोक्त सामाग्री देना था। प्रत्येक किसान को दिए जाने वाले सामाग्री की कुल कीमत 1500 रूपए था। इस तरह 41 हजार 300 किसानों के बीच सामाग्री बांटने का कुल खर्च 6 करोड़ 19 लाख 50 हजार रुपए हुआ। उक्‍त बातें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे और लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कृषि, पशुपालन सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख को सौंपे एक ज्ञापन में कही हैं। वहीं कहा है कि उक्‍त कार्य के लिए कोई निविदा आमंत्रित नहीं की गई थी। लेकिन काम नई कंपनी हनुमंत एसोसिएटस को दे दिया गया। जिसके पास कार्य का कोई अनुभव भी नहीं था।

कृषि विभाग का करीब 6 करोड़ रूपए का बंदरबांट कर लिया

तीनों प्रवक्‍ता मंत्री से मिले। मौके पर पश्चिमी सिंहभूम जिला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रंजन बोपाई, ज्योतिष यादव, उपेन्द्र राय और सत्यजीत हाजरा भी उपस्थित थे। मंत्री सेकहा गया है कि हनुमंत एसोसिएटस द्वारा 200 लीटर क्षमता वाली महालक्ष्मी इंडिस्ट्री, नागपुर की जिस प्लास्टिक ड्राम की कीमत 1399.48 रूपए वसूली गई है। उस प्लास्टिक ड्राम की कीमत आज तीन साल बाद भी प्रति इकाई खुले बाजार में रिटेंल में मात्र 700 रुपए है।  हनुमंत एसोसिएटस ने किसानों के बीच सामाग्री का वितरण नहीं के बराबर किया। कुछ कुछ प्रखंडों में दिखावे के लिए 20-30 किसानों के बीच सामाग्री का वितरण किया गया। हनुमंत एसोसिएटस के संचालक द्वारा घर बैठे बिल पर अपने कर्मचारियों से किसानों के नाम पर फर्जी अंगूठा या फिर हस्ताक्षर करवा कर कृषि विभाग का करीब 6 करोड़ रूपए का बंदरबांट कर लिया गया।

क्‍या की है प्रमुख मांग

-बिना निविदा के हनुमंत एसोसिएटस को कार्या देने की जॉच।
-हनुमंत एसोसिएटस के कार्यालय, संचालक, अस्तित्व और अनुभव की जॉच।
-41 हजार किसानों के बीच बांटी गई सामाग्री की जॉच।
-क्या खाद सामाग्री सिर्फ कागजों में बंटा है या फिर किसानों में भी इसकी  जॉच की जाए
-खुल्ले बाजार में 700 रूपए का प्लास्टिक ड्राम की 1400 रूपैये वसूली की जॉच। 
-हनुमंत एसोसिएटस को कार्य देने में शामिल अधिकारियों की अंतरलिप्तता जॉच।
-हनुमंत एसोसिएटस के फर्जी बिल के आधार पर विभाग से भुगतान की जॉच।

इधर, एनपीओपी के तहत बांटें गए खाद सामाग्री में भारी अनियमितता की भी हो जांच

इधर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे और लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कृषि, पशुपालन सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख को एक और ज्ञापन सौंपा है। जिसमें एनपीओपी के तहत बांटें गए खाद सामाग्री में भारी अनियमितता की भी जांच करने काआग्रह किया है। ज्ञापन में कहा है कि कृषि विभाग के अंतर्गत ओफार्ज के माध्यम से एनपीओपी योजना के तहत वितीय वर्ष 2018-19 के लिए  कृषि में पैदावार बढ़ाने के लिए से 1.शुरूंगी बायोबूस्ट (5किलो) बैग, 2. आर्यप्रो शिल्ड (1ली)  बोतल और 3. नीमैक्स (1ली) बोतल का वितरण किया जाना था।
 यह कार्य निविदा के माध्यम से आर्या बायोटेक्नोलॉजिस, आनंदपुरी हरमू को दिया गया था। इस कंपनी को राज्य के कुल 14 जिलों के 136 प्रखंडों में किसानों के बीच उपरोक्त सामाग्री के वितरण करने का कार्यादेश दिया गया था। हर प्रखंड में करीब 1500 किसानों को उपरोक्त सामाग्री देना था। अर्थात 136 प्रखंडों में करीब 2 लाख 4 हजार किसानों को पैदावार बढ़ाने के लिए खाद सामाग्री देने की योजना थी। प्रत्येक किसान को दिए जाने वाले सामाग्री की कुल कीमत 1976 रूपए था। इस तरह 2 लाख 4 हजार किसानों के बीच सामाग्री बांटने का कुल खर्च 40 करोड़ 31 लाख 4 हजार रूपए हुआ। कुछ प्रखंडों में दिखावे के लिए 50-100 किसानों के बीच सामाग्री का वितरण किया गया। कपंनी के संचालक छतीसगढ़ निवासी सुनील अग्रवाल द्वारा घर बैठे बिल पर अपने कर्मचारियों से किसानों के नाम पर फर्जी अंगूठा या फिर हस्ताक्षर करवा कर कृषि विभाग का करीब 40 करोड़ रूपए का बंदरबांट कर लिया गया।

आर्या बायोटेक्नोलॉजिक मामले में कांग्रेस की ये है मांग
    
-इस कार्य के लिए निविदा और चयन प्रकिया के माध्यम से आर्या बायोटेक्नोलॉजिस को 
दिए गए कार्यादेश की जॉच।
-आर्या बायोटेक्नोलॉजिस के कार्यालय, संचालक और अस्थित्व की जॉच।
-2.04 लाख किसानों के बीच बांटी गई खाद सामाग्री की जॉच।
-क्या खाद सामाग्री सिर्फ कागजों में बंटा है या फिर किसानों में इसकी जॉच।
-मात्र दो निविदा होने के बावजूद यह निविदा कैसे वैध माना गया।
-निविदा को वैध मानकर आर्या बायोटेक्नोलॉजिस को कार्यादेश देने की जॉच। 
-आर्या बायोटेक्नोलॉजिस को चयन करने के प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की जॉच।
-आर्या बायोटेक्नोलॉजिस के फर्जी बिल के आधार पर भुगतान की जॉच।

प्रतिलिपि यहां भी भेजी गई

उक्‍त दोनों ज्ञापन की प्रतिलिपिः राज्यपाल, मुख्यमंत्री, वित्त सह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और  महानिदेशक, झारखंड एसीबी को भी भेजी गई है।