द फॉलोअप टीम, रांची:
कांग्रेस ने चुनाव आयोग और भाजपा पर अधिकारियों के मनोबल को तोड़ने का आरोप लगाया है। प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि चुनाव आयोग के द्वारा देवघर उपयुक्त के संदर्भ में लिए गए फैसले को संवैधानिक संस्थाओं में लगातार हो रहे क्षरण के रूप में देखा जाना चाहिए। चुनाव आयोग को सदैव सम्मान के दृष्टिकोण से एक निष्पक्ष संवैधानिक संस्था के रूप में देखा जाता रहा है। चुनाव आयोग की भूमिका चुनाव के अधिसूचना के उपरांत आरम्भ होती है और निष्पक्ष चुनाव के दृष्टिगत प्रशासनिक पदस्थापना के पूर्व सरकार चुनाव आयोग के अनुमति के बाद ही कोई फैसला लेती है और यह स्थापित परंपरा रही है । पर चुनाव आयोग के द्वारा देवघर उपायुक्त के संबंध में लिए गए फैसले ने कहीं न कहीं उसके निष्पक्षता प्रश्नचिन्ह अवश्य खड़ा कर दिया है अभी न तो झारखण्ड में कहीं चुनाव है तो फिर यह बेहद जरूरी हो गया है कि संवैधानिक संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र पर व्यापक बहस हो।
कहा कि सोशल मीडिया और सार्वजनिक तौर पर उक्त मामले को लेकर भाजपा नेताओं के द्वारा की जा रही टिप्पणियां इस बात का परिचायक है कि ऐसे निर्णय के इशारे पर लिए जा रहे हैं और अधिकारियों के मनोबल को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है । झारखण्ड में राज्यसभा चुनाव प्रकरण में एक पुलिस अधिकारी पर चुनाव आयोग के ही निर्देशानुसार जब तीन वर्षों के बाद भी FIR दर्ज हो सकता है तो किसी के ऊपर तीन महीने के बाद FIR क्यों नहीं दर्ज हो सकता। राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि भाजपा एक तरफ संविधान के सम्मान की बात तो करती है पर उसका आचरण इसके प्रतिकूल हीं रहता है। लोकतंत्र को बचाये रखने के लिए विधायिका कार्यपालिका संवैधानिक संस्थाओं को अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर निर्णय लें। संवैधानिक संस्थाओं की साख बची रहे यह सभी की जिम्मेवारी होनी चाहिए।