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डायन कहकर दुष्कर्म करने और मैला पिलाने की कोशिश के बाद भी नहीं टूटी छुटनी, आज मिला पद्मश्री 

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द फॉलोअप टीम, रांची: 
डायन प्रथा के खिलाफ लड़ने वाली सरायकेला की छुटनी महतो को आज पद्मश्री अवार्ड से नवाजा गया। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने हाथों छुटनी महतो को सम्मानित किया। छुटनी महतो आशा संस्था में सरायकेला जिला इकाई की निदेशक के पद पर हैं।छुटनी महतो खुद डायन प्रथा की शिकार हुई थी उसके बाद से ही वह इस प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए अबतक सैकड़ों महिलाओं की जान बचाई है।

डायन कहकर दुष्कर्म करने और मैला पिलाने की कोशिश की गई थी   
सरायकेला जिला के बीरबांस की रहने वाली छुटनी महतो की शादी 12 वर्ष में ही हो गई थी। उनकी शादी गम्हरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत धनंजय महतो से हुई थी। 3 बच्चों के बाद 2 सितम्बर 1995 में उसके पड़ोसी भोजहरी की बेटी बीमार हो गई थी। ग्रामीणों को शक हुआ कि छुटनी ने जादू-टोनाकर उसे बीमार कर दी है। उसके बाद गांव में पंचायत हुई और उसके बाद लोगों ने उनके घर में घुसकर उनके साथ दुष्कर्म करने का भी प्रयास किया। उसके बाद पंचायत की तरफ से 500 रुपये जुर्माना छुटनी पर लगाया गया। छुटनी ने किसी तरह पैसा जमा किया लेकिन फिर भी गांव वालों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। ओझा गुनी के माध्यम से छुटनी को मैला पिलाने की कोशिश की गई। मैला नहीं पीने पर उसके शरीर पर फेंककर अपमानित किया गया। छुटनी ने थाना में मामला दर्ज करवाया। कुछ लोग गिरफ्तार भी हुए लेकिन उसके बाद कुछ ही दिनों में सभी जेल से छूट गए। अपने पति और बच्चों के साथ छुटनी गांव छोड़कर अपने मायके बीरबांस लौट आई। 

 

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अबतक सैकड़ों महिलाओं की बचा चुकी हैं जान 
1995 में जब छुटनी महतो के साथ यह घटना घटी उसके बाद से ही वह आशा संस्था के साथ जुड़कर डायन प्रथा के खिलाफ लड़ती रही। आशा संस्था के संस्थापक अजय जायसवाल ने बताया कि छुटनी आज जिस मुकाम पर पहुंची हैं वह समाज और देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उसके जीवन से आने वाली पीढ़ी को सीख लेने की जरुरत है। अजय जायसवाल ने बताया कि छुटनी महतो ने झारखण्ड के गांवों में व्याप्त महिला उत्पीड़न व डायन जैसी कुप्रथा व अन्धविश्वास के खिलाफ आवाज उठाती रही है। छुटनी की जागरूकता की बदौलत गांवों की सैकड़ों महिलाओं की जान अबतक बच चुकी है।

कल मधु मंसूरी और शशाधर आचार्य पद्मश्री से हुए थे सम्मानित

बता दें कि कल वर्ष 2020 के लिए झारखंड के लोक गायक और गीतकार मधु मंसूरी हंसमुख और छऊ नृत्य गुरु शशाधर आचार्य को राष्ट्रपति ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली छुटनी देवी को आज वर्ष 2021 के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया।