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बाबूलाल मरांडी को प्रतिपक्ष का नेता नहीं मानने पर भाजपा ने सरकार पर सवाल उठाया

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द फॉलोअप टीम, रांची : 
चुनाव आयोग से मान्यता मिलने के बावजूद विधानसभा के स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने बाबूलाल मरांडी को अबतक सदन में प्रतिपक्ष का नेता नहीं मानने से भाजपा अब मुखर हो गई है। छह माह पुराने इस विवाद में अब राजभवन का सीधा हस्तक्षेप शुरू हो गया है।

राज्यपाल-स्पीकर की मुलाकात के मायने?
राजभवन के बुलावे पर विधानसभाध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने रविवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इस दौरान राज्यपाल ने विधानसभाध्यक्ष से भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को अभी तक विधानसभा से नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं मिलने को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश द्वारा सौंपे गए ज्ञापन पर चर्चा की। दरअसल झाविमो के टिकट पर चुनाव जीते बाबूलाल मरांडी द्वारा अपनी पूरी पार्टी के भाजपा में विलय कर दिये जाने के बाद चुनाव आयोग ने पहले ही मरांडी को बतौर भाजपा विधायक के रूप में मान्यता दे दी है।

विधानसभा सचिवालय पर दबाव बढ़ा
उधर, विधानसभा ने उन्हें भाजपा द्वारा विधायक दल का नेता घोषित किये जाने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता नहीं दी है। अब चुनाव आयोग से स्वीकृति मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय पर इस बाबत दबाव है कि मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाए। इससे पूर्व विधानसभा सचिवालय ने तकनीकी पेंच का हवाला देते हुए बाबूलाल मरांडी को झारखंड विकास मोर्चा का विधायक बताते हुए मान्यता देने से इंकार कर दिया था। निर्वाचन आयोग को भेजी गई सूची में उन्हें झाविमो का विधायक बताया गया था। हालांकि चुनाव आयोग से स्वीकृति मिलने के बाद हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा विधायक के तौर पर वोटिंग की, जबकि झाविमो के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल हो चुके दो अन्य विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस का विधायक मानने से इन्कार करते हुए उन्हें निर्दलीय विधायक के तौर पर चिन्हित किया है।

6 माह बाद भी खाली है नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी
उल्लेखनीय है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब राज्य में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता की मांग को लेकर भाजपा विधायकों ने कई दिनों तक कामकाज बाधित किया था। बाद में बाबूलाल मरांडी ने स्वयं हस्तक्षेप करते हुए इस मामले पर किसी प्रकार का हंगामा नहीं होने का भरोसा अध्यक्ष को दिलाया। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान इस मामले पर तनातनी के बीच स्पीकर ने कहा था कि वे दबाव में इसपर फैसला नहीं ले सकते। विधानसभाध्यक्ष ने मीडिया से कहा है कि बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने में कोई पेंच नहीं है। महाधिवक्ता से कानूनी राय मिलने के बाद इसपर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। कोरोना संक्रमण के कारण भी इस प्रक्रिया में थोड़ा विलंब हुआ है।