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DNA टेस्ट से होगी चमोली आपदा में लापता झारखंडियों की पहचान, 14 लोगों की तलाश जारी

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द फॉलोअप टीम, चमोली :
उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में जान गंवाने वाले लोगों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट का सहारा लिया जाएगा। 7 फरवरी को अचानक आई इस आपदा में झारखंड के भी कई मजदूरों की जान चली गई थी। कुछ लोगों का शव मिला है जबकि कुछ अभी लापता हैं या फिर फंसे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक झारखंड के लोहरदगा से 9, रामगढ़ से 4 और बोकारो से 14 लापता श्रमिकों की पहचान नहीं हो पाई है। 

डीएनए टेस्ट के जरिए होगी शवों की पहचान
जानकारी के मुताबिक आपदा के बाद मिल रहे शवों की पहचान डीएनएट टेस्ट के जरिए की जाएगी। ऐसा करने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि शुक्रवार को वहां पहुंचे परिजन शवों को देखकर उनकी पहचान नहीं कर पाए। कहा जा रहा है कि अब भी 14 लोग लापता हैं और 19 लोग फंसे हुए हैं। जानकारी मिली है कि लातेहार के रहने वाले लोग जो फंसे हुए थे अब सकुशल लौट आए हैं। 

एनटीपीसी के सहयोग से होगा ये डीएनए टेस्ट
इस पूरे मामले को लेकर श्रमायुक्त ए मुथुकुमार ने बताया कि चमोली के पॉवर प्रोजेक्ट में काम करने वाले श्रमिकों की पहचान के लिए एनटीपीसी की मदद से डीएनए टेस्ट करवाया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस टेस्ट के जरिए लापता मजदूरों के विषय में जानकारी मिल सकेगी। श्रमायुक्त ए मुथुकुमार ने ये जानकारी भी दी कि उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में फंसे और रेस्क्यू कैंपों में ठहरे लोगों को झारखंड वापस लाने के लिए रामगढ़, लोहरदगा और लातेहार जिले के तीन श्रम अधीक्षकों को वहां भेजा गया है। 

उनकी सकुशल वापसी के लिए हवाई जहाज, ट्रेन या बस, जो भी विकल्प बेहतर लगेगा वही साधन अपनाया जाएगा। वहीं लातेहार के उपायुक्त ने बताया कि जिले के उन तमाम लोगों को वापस ले आया गया है जो वहां फंस गए थे। वहीं एक अन्य जानकारी के मुताबिक चमोली में फंसे रामगढ़ के कुल सात पर्यटक सुरक्षित हैं। शुक्रवार को उन्हें हरिद्वार लाया गया। श्रम विभाग कंट्रोल रूम से समन्वय स्थापित करके उन्हें वापस ला रहा है। 

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ग्लेशियर टूटने से आया था जानलेवा सैलाब
आपको बता दें कि बीते सात फरवरी को चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियां उफना गई। अचानक आया सैलाब रास्ते में आने वाला हर चीज बहा ले गया। उस वक्त ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे कई मजदूर सैलाब में बह गए। बताया जा रहा है कि आपदा का शिकार हुए तकरीबन 200 लोग अभी भी लापता हैं। 30 से ज्यादा शव बरामद किए जा चुके हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट के पास टनल में काम कर रहे लोग आपदा की वजह से फंस गए। उन्हें बचाने के लिए एनटीपीसी, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।