द फॉलोअप टीम दिल्ली:
हेडिंग से बात स्पष्ट है कि बात क्या है। यह मामला जून का है। कोयला लदे पानी जहाज समेत 23 भारतीय नाविक 7 महीने से चीन में फंसे हुए हैं। नेशनल यूनियन ऑफ सीफेयरर्स ऑफ इंडिया, इंटरनेशनल मेरीटाइम ऑर्गनाइजेशन और इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन (ITF) और बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने जब जहाज पर फंसे 23 लोगों को नियमानुसार बदलने की अनुमति देने के लिए जब चीन सरकार से संपर्क किया, तो सरासर अनदेखी की गई। बहाना महज कोरोना। इस विषय पर देश-विदेश में मीडिया संस्थानों में रहे वरिष्ठ पत्रकार पुष्परंजन को पढ़िये:
ऑस्ट्रेलिया से 1.70 लाख टन कोयला लेकर चला "जग आनंद"
पुष्परंजन
सरकार बताये, कोयला किसका है? इसे लेकर जाने वाले 23 भारतीय नाविक पिछले सात माह से चीन में बंधक जैसे हैं। शिप का नाम है "जग आनंद।" मुंबई के वर्ली स्थित कंपनी "ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड" का यह जहाज है। इसके चेयरमैन केएम शेठ गुजराती भाई हैं। इस साल जनवरी में इस कंपनी का जहाज " जग आनंद" ऑस्ट्रेलिया से 1.70 लाख टन कोयला लेकर चला और 13 जून 2020 को उत्तरी चीन के चियांगथांग पोर्ट पर पहुंचा। "जग आनंद" कार्गो के क्रू मेंबर में 23 भारतीय हैं। इन्हें कोविड के बहाने चीन ने जहाज समेत रोक रखा है। चीनी अधिकारी बोल रहे है, "कोयला अनलोड करने के वास्ते कई सारे कार्गो शिप क्यू में हैं। जहाज "जग आनंद" की बारी का इंतज़ार कीजिये।"
ऑस्ट्रेलिया का चीन से झगड़ा हुवावेई कंपनी पर प्रतिबन्ध को लेकर चरम पर है।
चीन उसी का स्कोर सेटल कोविड के बहाने कर रहा है, इन चक्करों में भारतीय
नाविक में पिस रहे हैं। उनकी मानसिक-शारीरिक हालत अच्छी नहीं बताई जाती. इस पूरे प्रकरण में ऑस्ट्रेलिया की चुप्पी सबसे अधिक अखर रही है। मुंबई स्थित डीजी शिपिंग और विदेश मंत्रालय के
अधिकारी पिछले सात माह से कागज़ी घोड़े दौड़ा रहे हैं। काश, मोदी जी साबरमती आश्रम आये
अपने ख़ास मेहमान शी चिनफिंग को बोलते। अब मुख्य सवाल पर आते हैं। यह कोयला है
किसका? ऑस्ट्रेलिया में अडानी ग्रुप ने कोयला खान का ठेका ले रखा है, अडानी ग्रुप का कोयला 2017-18
से चीन सप्लाई हो रहा है। दस्तावेज़ों को देखने पर स्पष्ट होता है, मुंबई स्थित "ग्रेट
ईस्टर्न शिपिंग लिमिटेड" अडानी ग्रुप को अपनी सेवाएं देता रहा है।