द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों फिर से कांग्रेस की चर्चा हो रही है। चर्चा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव को बदले जाने की है और हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में फेरबदल की भी। दरअसल कांग्रेस के अंदर खाने यही खिचड़ी पक रही है। झारखंड कांग्रेस के अंदर मची इस हलचल में सियासी स्टेडियम में हर एक ही आवाज सुनाई दे रही है, लेकिन सबकी निगाह तीसरे इंपायर के फैसले पर टिकी है। मैदान पर कब्जा बरकरार रखने में फिलहाल रामेश्वर की सेना मजबूत दिख रही है। कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष का राजनीतिक खूंटा भी बेहद मजबूत है। उनके काम-काज और संगठन के विस्तार को लेकर एक खेमा जबरदस्त तरीके से लॉबिंग में लगा है, पर इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि रामेश्वर उरांव भविष्य में अपने राजनीतिक विरासत को बचाने और बढ़ाने के लिये बेचैन है। शायद यही वजह है कि रामेश्वर उरांव और राज्यसभा सांसद धीरज साहू की जोड़ी दिल्ली में डेरा जमाए हुये है। कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह भी पडरौना से दिल्ली लौट आये हैं। वेनुगोपाल राव की भी दिल्ली लौटने की खबर है। रामेश्वर उरांव के दिल्ली जाते ही तरह-तरह की चर्चा जोर पकडने लगी है। संगठन में तो फेर बदल होना तय है, ऐसा सभी मान रहे हैं, लेकिन समय को लेकर चर्चा कभी तेज तो कभी धीरे पड़ जाती है।
कौन-कौन हैं प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में
कांग्रेस में नये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर टग ऑफ वार चल रहा है। ये माना जा रहा है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सिर्फ मंत्री बने रहेंगे, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की जगह नया चेहरा कौन होगा, इसको लेकर चर्चा हो रही है। सुबोधकांत सहाय भी अपने पुराने और वरिष्ठ साथियों के साथ दम लगाये हुए हैं, तो वहीं चर्चा ये भी है कि बादल मंत्री पद से इस्तीफा देकर प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर विराज मान होंगे। बादल के नाम पर किसी भी खेमें से विरोध भी नहीं दिख रहा है। तो आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष से हटा कर आदिवासी को ही बैठाने की बात चल रही है। इसमें बंधु तिर्की और विधायक राजेश कच्छप की भी चर्चा हो रही है। लेकिन फिलहाल बंधु तिर्की का पाला सबसे भारी दिख रहा है। वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम अपने सबसे चहेते कालीचरण मुंडा को उस पद पर बैठाना चाहते हैं ताकि जो सरकार में नहीं रहेगा वे संगठन की बात पूरे दम के साथ सरकार के पास रख सकता है। दूसरी बार कांग्रेस में शामिल पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार सिक्किम, नागालैंड और त्रिपुरा के प्रभारी तो बने हैं। लेकिन उनका मन झारखंड में ही बसा है, अपना पत्ता साफ होता देख वे गीता कोड़ा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए जोर लगा रहे हैं। तो कहा ये भी जा रहा है कि राजा साहेब (प्रभारी) ऐसे प्रदेश अध्यक्ष की तालाश में हैं, जो मन से तो राजा रहे लेकिन काम दास का करे।
दिल्ली अभी दूर है
कांग्रेस में जहां तक बदलाव की बात है, तो कांग्रेस कुछ और राज्यों में भी सांगठनिक बदलाव करने जा रही है, उस बदलाव के बाद ही झारखंड में कोई बदलाव संभव होता हुआ दिखता है। जबकि कैबिनेट में फेरबदल को लेकर अभी ना तो कांग्रेस में आम सहमति बन पाई है और ना ही 12वें मंत्री को लेकर जेएमएम और कांग्रेस में फिलहाल कोई सहमति की सूचना है। इसी लिए ये माना जा रहा है कि अभी दिल्ली दूर है फैसला लेने में अभी वक्त लगेगा।