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रामगढ़ में पुजारी की कोरोना संक्रमण से हुई मौत के सात दिन बाद जानिए कैसे सुलझा विवाद

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द फॉलोअप टीम, रामगढ़ :  झारखंड में कोरोना वायरस से मृत लोगों के शवों के अंतिम संस्कार को लेकर हर बार की तरह इस बार भी विवाद उत्पन्न हो गया है। इस बार का मामला थोड़ा अलग है। दरअसल, रामगढ़ में एक पुजारी की कोरोना संक्रमण से मौत होने के बाद उसे कब्र में दफनाया था। लेकिन इसके बाद कुछ हिंदू संगठनों ने इसका विरोध कर नए तरीके से अंतिम संस्कार को अंजाम दिया। इसके बाद प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 

30 जुलाई को पुजारी का हुआ था निधन 
बता दें कि 30 जुलाई को रांची रोड के राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी सीता राम मिश्रा का निधन हो गया। इसके बाद कोरोना जांच के लिए शव को अंतिम संस्कार से रोक गया था। दूसरे दिन 31 जुलाई को शव की जांच की गई। इसमें कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। प्रशासन ने प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए शव को दफना दिया, लेकिन धर्म के विपरीत पुजारी के शव को दफनाया गया। इसका हिंदू संगठनों ने विरोध किया। इसके बाद इस मामले में हिंदू संगठन के सदस्यों ने सीओ, एसडीओ और डीसी से बात करके पहले कब्र से शव निकालकर हिंदू संस्कार के मुताबिक दाह संस्कार कराने का फैसला लिया गया था। फिर बाद में कोरोना संक्रमण के फैलने के खौफ में शव को कब्र में ही रहने देने और कब्र के ठीक ऊपर एक लकड़ी का पुतला बनाकर सांकेतिक रूप से पुजारी का अंतिम संस्कार करने पर सहमति बनी। इसमें डीसी ने शव के दाह संस्कार की अनुमति दे दी।

पीपीई किट पहन कर परिजनों ने किया अंतिम संस्कार
मृतक के परिजनों और परिचितों ने पीपीई किट उपलब्ध कराया गया था ताकि  पुरोहित का दाह संस्कार किया जा सके। घटना के सात दिन बाद अंतिम संस्कार हुआ। पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में पुजारी का अंतिम संस्कार कराया गया। पुजारी के छोटे पुत्र अरविंद मिश्रा उर्फ चिंटू मिश्रा ने मुखाग्नि दी। इस मौके पर सीओ भोला शंकर महतो, एसडीपीओ अनुज उरांव, थाना प्रभारी पुलिस इंस्पेक्टर विद्या शंकर, भाजपा नेता धनंजय कुमार पुटुस सहित स्थानीय लोग शामिल थे।