द फॉलोअप टीम, पटना
बिहार विधानसभा चुनाव में यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी के बाद शुक्रवार से पीएम नरेंद्र मोदी की एंट्री हो गई। सासाराम में हुई रैली में सबसे पहले पीएम मोदी ने उपस्थित जनसमूह को भोजपुरी भाषा में संबोधन किया। पीएम ने रामविलास पासवान और रघुवंश प्रसाद सिंह को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने कहा कि बिहार के विकास की हर योजना को अटकाने और लटकाने वाले वे लोग हैं, जिन्होंने अपने 15 साल के शासन में लगातार बिहार को लूटा।
मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हाल ही में बिहार ने अपने दो सपूतों को खोया है, जिन्होंने यहां के लोगों की दशकों तक सेवा की है। मेरे करीबी मित्र और गरीबों, दलितों के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले और आखिरी समय तक मेरे साथ रहनेवाले राम विलास पासवान जी को मैं श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूं। पीएम मोदी ने बिहार में हुए विकास को गिनवाते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज बिहार में पीढ़ी भले बदल गई हो, लेकिन बिहार के नौजवानों को ये याद रखना है कि बिहार को इतनी मुश्किलों में डालने वाले कौन थे? जब बिहार के लोगों ने इन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया। नीतीश जी को मौका दिया तो वे बौखला गए। इसके बाद दस साल तक इन लोगों ने यूपीए की सरकार में रहते हुए बिहार पर, बिहार के लोगों पर अपना गुस्सा निकाला।
'लालटेन का जमाना अब गईल- पीएम
पीएम नरेंद्र मोदी ने भोजपुरी में कहा कि ई भूमि के नमन कर तानी। भारत के सम्मान बा बिहार, भारत के स्वाभिमान बा बिहार, भारत के संस्कार बा बिहार, संपूर्ण क्रांति के शंखनाद बा बिहार, आत्मनिर्भर भारत के परचम बा बिहार। पीएम ने कहा कि बिहार अब विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है, अब बिहार को कोई बीमारू, बेबस राज्य नहीं कह सकता। इसी के साथ पीएम ने भोजपुरी में बोलते हुए कहा कि 'लालटेन का जमाना अब गईल। बिहार के लोगों ने मन बना लिया है, ठान लिया है कि जिनका इतिहास बिहार को बीमारू बनाने का है, उन्हें आसपास भी भटकने नहीं देंगे।
गया में पीएम मोदी की रैली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गया में रैली शुरू हो गई है। पीएम के साथ जीतन राम मांझी भी मंच पर मौजूद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना काल के बीच ये दुनिया का पहला बड़ा चुनाव है। इस दशक में बिहार का पहला चुनाव है। आज नया बिहार बनता देख रहे हैं। पहले इसकी कल्पना नहीं की जाती थी। उस दौर में लोग गाड़ी नहीं खरीदते थे, ताकि उस राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं को कमाई का पता ना चल जाए। आज के बिहार में लालटेन की जरूरत खत्म हो गई है।