द फॉलोअप टीम, पटना
बिहार के लोगों के लिए लंबे समय बाद राहत की खबर आई है। खबर ये है कि प्रदेश में कोरोना के नए केस मिलने की दर पिछले पहले से आधी हो गई है। यानी पहले जितने टेस्ट होते थे और जितने मरीज मिलते थे, अब उससे ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं लेकिन मरीजों के संक्रमित होने की पुष्टि आधी हो गई है। यानी ये कहना कि बिहार में कोरोना कोहराम मचा रहा है, ये सरासर गलत है। असल में आम लोग रोजोना कोरोना के नए केसों की संख्या देखकर ये अंदाजा लगाते हैं कि राज्य की हालत कैसी है। वो इस पर ध्यान नहीं देते हैं कि आखिर कितने सैंपल में इतने पॉजिटिव केसेज मिले हैं। आज हम आपको यही समझाने की कोशिश करेंगे और बताएंगे कि कैसे बिहार के लोगों को अब कोरोना से डरने की जरुरत नहीं है, बल्कि सतर्क रहने की जरुरत है।
केन्द्रीय टीम के टिप्स आए काम
बिहार में पिछले दिनों लगातार संक्रमण की दर बढ़ रही थी। हालात ऐसे हो गए थे कि संभाले नहीं संभल रहे थे। सरकार से लेकर स्वास्थ्य महकमा तक परेशान था कि आखिर इस पर कैसे काबू पाया जा सका। केन्द्र से आई टीम के टिप्स ने बिहार सरकार की मदद की। स्वास्थ्य विभाग ने ये प्रयास शुरू किए कि कैसे जांच की क्षमता बढ़ायी जाय। जांच की क्षमता बढ़ाने का मकसद ये है कि जब ज्यादा जांच होगी तो ज्यादा संक्रमित की पहचान होगी और फिर उन्हें आइसोलेट कर कोरोना के चेन को तोड़ा जा सकेगा। स्वास्थ्य विभग ने इसी पर काम करना शुरू किया और परिणाम भी जल्द सामने आने लगा। बिहार में अब पहले के मुकाबले जांच 3 गुनी से ज्यादा हो गई। शनिवार को ही प्रदेश में सबसे ज्यादा 35619 सैंपल कलेक्ट किए गए। इनमें से 7.75 फीसदी मरीजों में संक्रमण की पुष्टि हुई। जबकि 15 जुलाई से पहले तक ये आंकड़ा 15.7 फीसदी से ज्यादा था। यानी पहले 100 लोगों की जांच होती थी तो 15 लोग पॉजिटिव मिलते थे लेकिन अब 7 के आसपास ही संक्रमित मिल रहे हैं।
5 फीसदी पर लाने का सरकार का लक्ष्य
हालांकि बिहार के लोगों के लिए अभी ये सिर्फ राहत भर है। क्योंकि सरकार और स्वास्थ्य विभाग का टारगेट इसे और कम करके 5 फीसदी करने का है। सरकार और स्वास्थ्य महकमे को उम्मीद है कि बहुत जल्द वो इस लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेंगे। हालांकि इसके लिए सरकार ने लोगों से भी अपील की है कि वो लापरवाही न बरतें। घर से जब भी बाहर निकलें तो मास्क पहनकर और सैनिटाइजर साथ लेकर चलें। यही नहीं थोड़ा भी कोरोना का लक्षण लगता है तो पहले खुद को आइसोलेन करें और फिर जितनी जल्दी हो टेस्ट कराएं ताकि किसी और को संक्रमण न हो सके।
बाढ़ पीड़ितों की भी होगी कोरोना जांच
सरकार और स्वास्थ्य महमका सिर्फ उन्हीं लोगों की जांच पर जोर नहीं दे रही है जो जांच सेंटर तक पहुंच रहे हैं बल्कि वैसे लोगों का टेस्ट कराने पर फोकस किया जा रहा है जो बाढ़ की वजह से सेंटर तक नहीं पहुंच सकते हैं। सरकार ने आदेश दिया है कि सभी बाढ़ राहत शिविर, सामुदायिक किचेन वाले इलाके में रह रहे लोगों का रैपिड एंटीजन किट से टेस्ट कराया जाय। इससे कम्युनिटी स्तर पर कोरोना फैलने से रोका जा सकेगा।