द फॉलोअप टीम, रांची:
जिस धरती, जंगल, जल और जमीन के लिए जीवन भर लोक गायक मधु मंसूरी गीत गा-गा कर अलख जगाते रहे, आज जब पद्मश्री सम्मान लेकर दिल्ली से रांची पहुंचे तो उन के स्वागत में प्रेमियों का प्रेम उमड़ पड़ा। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से लेकर उनके गांव-घर सिमलिया तक। बचपन से ही लिखकर अपने ही गीतों को स्वर देने वाले मधु मंसूरी हंसमुख की पहचान उनके चर्चित गीत गांव छोड़ब नहीं से मिली। रचनाकर्म और गायन को 60 साल से अधिक हो गए, लेकिन सहजता और विनम्रता आज भी बालसुलभ।
इंडियन हेल्प सोसाइटी की टीम ने दी बधाई
सिमलिया में इंडियन हेल्प सोसायटी की ओर से भी उनका स्वागत किया गया। सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद शाहनवाज ने कहा मधु मंसूरी हंसमुख कला संस्कृति के राजकुमार हैं।उन्होंने गीत-संगीत में पूरे झारखंड का नाम रोशन किया हैl
युवाओं से कहा - किताबाें से दोस्ती कभी मत छोड़ना
मंसूरी ने युवाओं से कहा कि किताबाें से दोस्ती कभी मत छोड़ना। अपनी संस्कृति, अपनी पहचान को हमेशा कायम रखना और गंगा जमुना तहजीब को बनाए रखना l ये बुजुर्गों की विरासत है देश के उन्नति तरक्की प्रगति में हमेशा अपना योगदान देने की सलाह दी और अपने जीवन के अनुभव को हमारे साथ साझा किया।
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