द फॉलोअप टीम रांची
आयुर्वेद चिकित्सक भला सर्जरी कैसे कर सकते हैं। इस सवाल ने एलोपैथी के डॉक्टर्स की नींद उड़ा दी है। जबकि आज भले ही आयुर्वेद लोगों की पहली पसंद न हो, लेकिन जब एलोपैथी का नाम तक नहीं था। आयुर्वेद से ही सभी तरह का इलाज हुआ करता था। इसमें सर्जरी भी शामिल थी। लगभग 2500 साल पहले में धंवंतरि के शिष्य सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता में सर्जरी के बारे विस्तार से लिखा था। इसे एलोपैथी के डॉक्टर्स नजरअंदाज करते हुए बॉयकॉट कर रहे हैं। आईएमए के आह्वान पर झारखंड के डॉक्टरों ने आज शुक्रवार कार्य बहिष्कार किया है। राज्य के सरकारी और निजी डॉक्टरों में कुल चार हजार डॉक्टर इसके समर्थन में है। आइएमए के संयुक्त सचिव अजित कुमार कहते हैं, बात महज युनानी और आयुर्वेदिक की नहीं है। सरकार का यह निर्णय ही गलत है। करोड़ों का ससंद भवन बनाया जाता है, तो दूसरी ओर गरीबों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के लिए आयुर्वेद के छात्रों को ऑपरेशन की अनुमति दे दी जाती है। राज्य में एमबीबीएस की सीटों कम कर दी गई हैं। जबकि कोई भी अधिकारी या नेता अपने परिजनों का इलाज आयुर्वेद डाॅक्टरों से हरगिज कराने को तैयार नहीं होंगे। डॉ अजित की मानें तो विरोध का असर दिख रहा है। राज्य के अस्पतालों में कामकाज प्रभावित है। रांची रिम्स में ओपीडी सेवा बंद है। राज्य के दूसरे अस्पतालों का भी यही हाल है। लेकिन कुछ सेवाओं को बंद नहीं किया गया है। ऐसे ऑपरेशन जो जरूरी है, उन्हें नहीं टाला गया है। इमरजेंसी ऑपरेशन चालू है। इमरजरेंसी के अलावा कोविड सेवाओं को भी चालू रखा गया है।
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