डेस्क:
बीते तकरीबन 2 साल से भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी गतिरोध खत्म हो सकता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 12 सितंबर तक पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स इलाके से भारत-चीन के सैनिकों की वापसी हो जाएगी। गौरतलब है कि 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। झड़प में भारतीय सेना के मेजर सहित कुल 20 जवान शहीद हो गए थे। चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे।
भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता
15 जून 2020 के बाद और उससे पहले भी जारी गतिरोध को खत्म करने को लेकर दोनों देशों के सैनिकों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। इसमें ब्रिगेडियर और मेजर स्तर की वार्ता शामिल है। यही नहीं, गतिरोध के बीच भारत और चीन के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की मुलाकात रूस में हुई थी, लेकिन गतिरोध जारी रहा। इस बीच दोनों देशों के बीच बयानबाजी भी होती रही। विपक्ष द्वारा भी लगातार ये आरोप लगाया जाता रहा है कि चीन ने अरुणांचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से में अपने गांव बसा लिए हैं। वहां रक्षा उपकरणों की तैनाती की है। सैनिकों का मूवमेंट बढ़ा है लेकिन सरकार ने इससे इंकार किया।
सीमावर्ती इलाके में इस शर्त पर बनी सहमति
ताजा जानकारी के मुताबिक भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता जारी रखने और भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास शांति बहाल करने एवं शेष मुद्दों को सुलझाने पर सहमति जताई है। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इस बात पर सहमति बनी है कि इलाकों में दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे ध्वस्त किए जाएंगे। जमीन का वही प्राकृतिक रूप बहाल किया जाएगा तो गतिरोध से पहले था।
डिवीजन कमांडर स्तर की वार्ता में हुई अहम चर्चा
बीते अगस्त को पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर शांति बहाल करने के उद्देश्य से डिवीजन कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी। इसे पहले भी दोनों देशों के बीच चीन के वायु सेना द्वारा हवाई क्षेत्र का उल्लंगन करने के मामले में चुशुल सेक्टर में बातचीत हुई थी। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा में कई बिंदुओं में गहरा मतभेद और गतिरोध है।