द फॉलोअप डेस्क
ग्रेटर नोएडा में साइबर ठगों ने अमेज़न गिफ्ट वाउचर के बहाने एक महिला से 51 लाख रुपये की ठगी कर ली। पीड़िता मीनू रानी को अज्ञात लोगों ने पहले एक व्हाट्सऐप ग्रुप में जोड़ा, जहां मुफ्त में अमेज़न गिफ्ट वाउचर देने का झांसा दिया गया। इस ग्रुप में शामिल होने के बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपनी बचत और उधार लिए हुए पैसे एक निवेश स्कीम में लगा दिए, जो पूरी तरह फर्जी निकली।
ठगी की शुरुआत ऐसे हुई
एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, ठगी की यह साजिश तब शुरू हुई जब हरि सिंह नाम के व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर मीनू रानी से संपर्क किया। उसने खुद को 15 साल का अनुभवी इन्वेस्टमेंट गाइड बताया और उन्हें व्हाट्सऐप ग्रुप में जुड़ने के लिए राजी कर लिया। इस ग्रुप में शेयर बाजार में निवेश से तगड़ा मुनाफा कमाने के दावे किए जा रहे थे। इसी बीच, मीनू की मुलाकात आरती सिंह नाम की एक अन्य सदस्य से हुई, जिसने बताया कि हरि सिंह ने सभी महिला सदस्यों के लिए अमेज़न गिफ्ट वाउचर खरीदे हैं। आरती ने मीनू से कहा कि वे अपने अमेज़न अकाउंट में लॉगिन करें। जब उन्होंने ऐसा किया तो उनके अकाउंट में एक हजार रुपये का गिफ्ट वाउचर जुड़ गया। इससे उनका भरोसा और मजबूत हो गया और उन्होंने ठगों की निवेश स्कीम में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी।
ऐसे गई लाखों की रकम
हरि सिंह ने उन्हें शेयर बाजार में 50,000 रुपये लगाने को कहा। जब उन्होंने यह राशि ट्रांसफर की, तो एक ऐप के जरिए उन्हें मुनाफे की राशि दिखाई गई। ठगों ने इस नकली मुनाफे को दिखाकर उन्हें और अधिक पैसे लगाने के लिए प्रेरित किया। ज्यादा कमाई के लालच में मीनू ने अपने पति, सास और अन्य रिश्तेदारों से उधार लेकर इस स्कीम में निवेश कर दिया। ठगों ने बहुत चालाकी से उन्हें भरोसे में लेकर इस फर्जी योजना में 51 लाख रुपये लगा दिए।
जब हुआ ठगी का अहसास
कर्ज बढ़ने पर जब मीनू ने अपने एक परिचित से मदद मांगी, तो उन्हें इस स्कीम की असलियत पता चली। इसके बाद जब उन्होंने ठगों से संपर्क कर अपनी रकम वापस लेने की कोशिश की, तो कोई जवाब नहीं मिला। तब जाकर उन्हें अहसास हुआ कि वे साइबर ठगी का शिकार हो चुकी हैं।
पुलिस कार्रवाई जारी
8 मार्च 2025 को मीनू रानी ने साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (साइबर क्राइम) प्रीति यादव के अनुसार, पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अब तक 4.8 लाख रुपये फ्रीज कर दिए हैं, जबकि बाकी रकम की रिकवरी के प्रयास जारी हैं। यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि ऑनलाइन निवेश से पहले पूरी जांच-पड़ताल बेहद जरूरी है, ताकि साइबर ठगों के जाल में फंसने से बचा जा सके।
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