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असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, पूछा- विदेशी नागरिक क्यों हैं डिटेंशन सेंटर में;  14 दिन में वापस भेजने का निर्देश

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द फॉलोअप डेस्क 
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को असम के डिटेंशन सेंटर्स से जुड़ी एक अहम सुनवाई में असम सरकार को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां ने असम सरकार से सवाल किया कि 63 विदेशी घोषित व्यक्तियों को उनके देश भेजने के बजाय डिटेंशन सेंटर्स में क्यों रखा गया है? क्या सरकार इसके लिए किसी खास समय का इंतजार कर रही है?
असम सरकार ने कोर्ट में यह दावा किया कि इन व्यक्तियों का निर्वासन संभव नहीं था, क्योंकि इन लोगों ने अपने देश का पता नहीं बताया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इन सभी को अगले 14 दिनों में उनके देश वापस भेजने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि असम के डिटेंशन सेंटर्स में अधिकतर बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोग हैं।


कोर्ट ने असम सरकार से पूछा कि असम में कितने विदेशी हिरासत केंद्र हैं और आपने अब तक कितने लोगों का निर्वासन किया है? साथ ही, सरकार से यह भी पूछा गया कि यदि आप इन व्यक्तियों के पते नहीं जानते तो नागरिकता के आधार पर उनका निर्वासन क्यों नहीं किया जा रहा है? कोर्ट ने यह भी कहा कि एक बार किसी को विदेशी घोषित कर दिया जाता है, तो उन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता।
असम में वर्तमान में सात डिटेंशन सेंटर्स हैं, जिनमें से छह जेलों के अंदर स्थित हैं, जबकि मटिया ट्रांजिट कैंप एक स्वतंत्र सुविधा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जनवरी 2025 तक मटिया कैंप में लगभग 270 विदेशी नागरिक हिरासत में थे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी करते हुए सवाल किया कि यदि किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता का पता नहीं चलता, तो ऐसे मामलों को कैसे निपटाया जाए। कोर्ट ने सरकार से एक महीने के अंदर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

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