द फॉलोअप डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अपना घर किसी भी परिवार का सपना होता है, जो सालों की मेहनत से बनता है। इस कारण किसी का घर केवल इस वजह से नहीं नहीं गिराया जा सकता है कि वह किसी मामले में आरोपी या दोषी है। इस मामले में सुनवायी के दौरान बेंच ने कहा कि प्रशासन जज नहीं बन सकता। साथ ही सिर्फ इस कारण से किसी की प्रॉपर्टी नहीं ढहाई जा सकती कि संबंधित व्यक्ति आरोपी या दोषी है। उक्त मामले की सुनवायी जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच में हुई, जिसमें कहा गया कि बदला लेने के लिए बुलडोजर एक्शन नहीं हो सकता।
कोर्ट का कहना है कि घर किसी भी व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है। उसे बिना नियम का पालन किए छीना नहीं जा सकता। इसलिए मनमाने एक्शन की बजाय नियम का पालन होना चाहिए। इस दौरान बेंच ने कहा कि जनता का सरकार पर भरोसा इस बात पर निर्भर करता है कि वह लोगों के प्रति कितनी जवाबदेह है। साथ ही उनके अधिकारों का कितना संरक्षण करती है। इसमें उनकी संपत्तियों का भी संरक्षण होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बुलडोजर ऐक्शन जैसी चीजें नहीं की जा सकतीं। इस दौरान नहीं संविधान के आर्टिकल 142 का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर देश भर के लिए नयी गाइडलाइंस तय की हैं।क्या है बुलडोजर एक्शन पर तय की गईं गाइडलाइंस
- कोर्ट ने कहा कि बिना लिखित नोटिस दिए किसी की संपत्ति नहीं ढहाई जा सकती। यह नोटिस कम से कम 15 दिन पहले मिलना चाहिए। इसे रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाए और संबंधित इमारत पर भी चस्पा किया जाए। यह भी बताया जाए कि इमारत को क्यों गिराया जा रहा है। उसी नोटिस में यह भी बताना होगा कि इस एक्शन से बचाव के लिए क्या किया जा सकता है।
- किसी भी संपत्ति पर बुलडोजर एक्शन से पहले उसके मालिक को निजी तौर पर सुनवाई का मौका देना होगा। इसके अलावा अधिकारियों को आदेश के बारे में मौखिक तौर पर जानकारी देनी होगी। बुलडोजर एक्शन की वीडियोग्राफी भी होगी ताकि यह सबूत रहे कि कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन हुआ भी है या नहीं।
- कोर्ट ने कहा कि डीएम को यह देखना होगा कि बुलडोजर एक्शन पर नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। उन्हें तय करना होगा कि उन्हीं इमारतों को गिराया जाए, जो अवैध हैं और उसमें भी नियमों का पालन हो। नियमों का पालन किए बिना घर या इमारत गिराने वाले अधिकारियों पर एक्शन होगा। अदालत की अवमानना की कार्रवाई भी हो सकती है। इसके अलावा फाइन भी लगाया जा सकता है। संपत्ति गिराने से हुए नुकसान की भरपाई भी अधिकारियों से कराई जा सकती है।
- जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि कानून के तहत सभी नागरिकों के साथ समान बर्ताव होना चाहिए। किसी का भी घर गिराना उसके मूल अधिकार के खिलाफ है। अदालत में कुछ रिपोर्ट्स का जिक्र करते हुए कहा कि एक अपराध पर किसी का तो घर गिरा दिया गया, लेकिन वैसा ही अपराध करने पर दूसरे समुदाय से आने वाले व्यक्ति के साथ ऐसा कोई एक्शन नहीं हुआ।
- कोर्ट ने कहा कि किसी अवैध निर्माण को गिराना है तो उसमें पक्षपात नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी आरोपी के बैकग्राउंड या फिर उसके समुदाय को देखते हुए एक्शन नहीं लेना चाहिए।
- जस्टिस गवई ने कहा कि यह तय होना चाहिए किसी भी आरोपी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन न हो। प्रशासन किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकता और उसके आधार पर घर नहीं गिराया जा सकता। ऐसे एक्शन सीधे कानून की आत्मा पर चोट पहुंचाते हैं।