द फॉलोअप डेस्क
संदेशखाली हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की सीबीआई से जांच की मांग को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि संदेशखाली में हिंसा का संज्ञान कोलकाता हाईकोर्ट ने खुद से लिया है। कहा कि मामले जांच एसआइटी को करना चाहिये। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य फैसले में कहा कि संदेशखाली मामले में संसद की विशेषाधिकार समिति को हस्तक्षेप भी गैरजरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में संसद की विशेषाधिकार समिति के किसी भी एक्शन पर रोक लगा दी है। इस बीच खबर है कि दो-चार दिन में पीएम नरेद्र मोदी संदेशखाली का दौरा कर सकते हैं। वहीं, विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने की इजाजत कोलकाता हाईकोर्ट से मिल गयी है।
क्या है बीजेपी का आरोप
गौरतलब है कि बीजेपी की शिकायत के बाद संसद की विशेषाधिकार समिति ने प बंगाल के मुख्य सचिव और DGP के खिलाफ विशेषाधिकार उल्लंघन के तहत कार्रवाई का फैसला किया था। बीजेपी की ओऱ से आरोप लगाया था कि सांसद सुकांता मजूमदार पर बंगाल में जानलेवा हुआ है। रपट के मुताबिक मजूमदार यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए संदेशखाली गये हुए थे। इसी दौरान पुलिस ने बीजेपी नेता पर लाठीचार्ज किया। इससे मजूमदार बुरी तरह से घायल हो गये। उनको गंभीर चोटें आयीं और उनको अस्पताल में एडमिट करना पड़ा।
क्या है संदेशखाली मामला?
बता दें कि संदेशखाली की कुछ महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शाहजहां शेख और उसके सहयोगियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वे शेख के खिलाफ सड़कों पर निकल आयी हैं। महिलाओं का आरोप है कि सांसद शेख के सहयोगी उनको इलाके की सुंदर महिलाओं पर नजर रखते हैं। नौकरी और लालच देकर वे महिलाओं का शोषण और इनपर अत्याचार करते हैं। आरोप है कि आंदोलन के दौरान पुलिस ने महिलाओं का साथ देने के बजाये शेख समर्थकों का पक्ष लिया। इसी के साथ महिलाओं ने टीएमसी सांसद और उनके गुर्गों पर यौन शोषण व भूमि हड़पने के आरोप लगाये हैं।