द फॉलोअप डेस्क
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में दो और भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुना दी गई है। ये दोनों केरल के रहने वाले थे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि मोहम्मद रिनाश और मुरलीधरन पीवी को यह सजा दी गई है। रिनाश पर एक अमीराती नागरिक की हत्या का आरोप था, जबकि मुरलीधरन पर एक भारतीय नागरिक की हत्या का मामला दर्ज था। इससे पहले, 15 फरवरी को भारतीय महिला शहजादी खान को एक बच्चे की हत्या के मामले में फांसी दी गई थी। पांच मार्च को यूएई में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया।
भारतीय कैदियों की बढ़ती संख्या
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, यूएई की विभिन्न जेलों में 26 भारतीय नागरिक मौत की सजा के इंतजार में हैं। अन्य देशों की बात करें तो सऊदी अरब में 12 और कुवैत में तीन भारतीय नागरिकों को भी मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। भारत सरकार ने संसद में बताया कि विदेशों में कैद सभी भारतीय नागरिकों को कानूनी सहायता दी जा रही है। हालांकि, शहजादी खान के परिवार का दावा है कि उन्हें सही कानूनी मदद नहीं मिली। यूएई के कानूनों के तहत हत्या के मामलों में "ब्लड मनी" का प्रावधान है। यानी, अगर पीड़ित के परिजन सहमत हों तो वे मुआवजे के बदले अभियुक्त को माफ कर सकते हैं। इसी विकल्प पर यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए विचार किया जा रहा है।
क्या भारतीय सरकार कुछ कर सकती है?
सरकार का कहना है कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इन 26 भारतीयों को भी किसी तरह बचाया जा सकेगा, या फिर उनकी किस्मत भी शहजादी, रिनाश और मुरलीधरन जैसी होगी?