द फॉलोअप डेस्क
बिहार में एक बार फिर से विशेष राज्य के दर्जा की मांग उठी है। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से मांग की है। इतनी ही नहीं उन्होंने केंद्र सरकार को खुली चेतावनी तक दे दी है। नीतीश कुमार ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार जल्द से जल्द बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देती है तो वह अभियान चलाएंगे।
जो लोग विशेष राज्य की मांग का समर्थन नहीं करते उन्हें राज्य के विकास में दिलचस्पी नहीं
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बापू सभागार में एक कार्यक्रम में यह बात कही है। सीएम ने कहा कि यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला तो हम इसके लिए अभियान चलाएंगे। जो लोग मेरी मांग का समर्थन नहीं करते, उन्हें राज्य के विकास में कोई दिलचस्पी नहीं है। बिहार विधानमंडल ने हाल ही में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में वंचित जातियों के लिए कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिससे जाति सर्वेक्षण के आधार पर कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा।
पहले भी उठ चुकी है मांग
सीएम ने आगे कहा कि हमने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कई कल्याणकारी योजना बनाई हैं। ऐसा योजनाओं को लागू करने के लिए बिहार जैसे गरीब राज्य में कई करोड़ खर्च होंगे। अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है तो राज्य सरकार ढ़ाई साल के भीतर संबंधित लोगों को सभी तरह का लाभ प्रदान कर देगी। बता दें कि नीतीश कुमार पहली बार विशेष राज्य की मांग नहीं किया है। इससे पहले भी वे कई बार विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर चुके हैं और आंदोलन चला चुके हैं।
विशेष राज्य के फायदे
विशेष राज्य के दर्जा का फायदा यह होता है कि राज्य में चलने वाली केंद्र की योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी अधिक हो जाती है। केंद्र से वित्तीय मदद मिलती है। उद्योगों को कर में रियायत भी मिलती है। इनमें उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क व कारपोरेट टैक्स आदि शामिल हैं।
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