द फॉलोअप डेस्क
अमेरिका में रह रहे हिंदू समुदाय के लोगों ने बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा की है। इस दौरान कई हिंदू अमेरिकी समूहों ने मांग की है कि दक्षिण एशियाई देश के लिए अमेरिकी सहायता इस शर्त पर निर्भर होनी चाहिए कि वहां की सरकार अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा के लिए ठोस कार्रवाई करें।
बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू देश की 17 करोड़ की आबादी का केवल 8 प्रतिशत हैं। इस कारण 5 अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू आबादी को देश के 50 से अधिक जिलों में 200 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा है।चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हालात हुए खराब
वहीं, बांग्लादेश में हालात ज्यादा तब खराब हो गए, जब इस हफ्ते हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया। उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। साथ ही इस मामले में उन्हें एक अदालत ने जमानत देने से भी इंकार कर दिया है। वहीं, इसके बाद देश की राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित कई जगहों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बता दें कि गिरफ्तार दास ‘इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस’ (ISCKON) के सदस्य थे। उन्हें हाल ही में निष्कासित कर दिया गया था।
इस संबंध में विश्व हिंदू परिषद, अमेरिका के अध्यक्ष अजय शाह ने कहा कि दास की गिरफ्तारी, चटगांव में काली मंदिर में तोड़फोड़ और बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमले की खबरें परेशान करने वाली हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या यह मानवाधिकार की विरासत है, जिसके लिए बाइडन प्रशासन याद किया जाना चाहता है।
अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार पर वैश्विक मीडिया की चुप्पी चौंकाने वाली
उक्त मामल में विहिप के महासचिव अमिताभ मित्तल ने कहा कि बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचारों के बारे में वैश्विक मीडिया की चुप्पी काफी चौंकाने वाली है। साथ ही हाल में हुए इस्कॉन के एक पुजारी की गिरफ्तारी और हिंदू मंदिरों पर हिंसक हमले धार्मिक असहिष्णुता में खतरनाक वृद्धि को दर्शाते हैं। मित्तल ने आरोप लगाया है कि ये घटनाएं भेदभाव का एक बड़ा पैटर्न है। इस दौरान अमिताभ मित्तल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय निंदा की कमी केवल अपराधियों को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही ये हमले बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए खतरा पैदा करती है।'हिंदूज फॉर अमेरिका फर्स्ट' के संस्थापक ने क्या कहा
'हिंदूज फॉर अमेरिका फर्स्ट' (HFAF) ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लिखे एक पत्र में लिखा है कि बांग्लादेश में बीजिंग की महत्वाकांक्षाओं से जुड़ी परियोजनाओं के लिए अमेरिकी वित्तपोषण रोकने और अमेरिका व उसके सहयोगियों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने वाली पहलों को प्राथमिकता देने की सिफारिश की है।
इसे लेकर HFAF के संस्थापक और अध्यक्ष उत्सव संदूजा ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदायों ने देश में व्यवस्थित हिंसा और भेदभाव का सामना किया है। इस कारण हम विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं कि आपका प्रशासन बांग्लादेशी सरकार पर अमेरिकी सहायता को निर्भर करता है, जो इन आबादी की रक्षा के लिए कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि करदाताओं को कभी भी उन सरकारों का समर्थन नहीं करना चाहिए, जो अपने सबसे कमजोर नागरिकों की रक्षा करने में नाकाम रहते हैं।
इस दौरान संदूजा ने दावा किया है कि कुछ बांग्लादेशी अधिकारियों के जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे चरमपंथी समूहों से संबंध हैं, जो अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इसके आगे संदूजा ने अपने पत्र में लिखा है कि हम सम्मानपूर्वक वीजा प्रतिबंधों और सख्त निगरानी की सिफारिश करते हैं। ऐसा इसलिए ताकि इन विचारधाराओं को अमेरिकी धरती पर पैर जमाने से रोका जा सके।