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हाथरस त्रासदी : आयोजक पर FIR लेकिन बाबा का नाम नहीं, ढूंढने पर नहीं मिला

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द फॉलोअप डेस्कः
उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलरई गांव में मंगलवार को सत्संग में मची भगदड़ में 116 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। वहीं 30 से अधिक लोग घायल हैं। इस मामले में पुलिस ने मुख्य सेवादार देव प्रकाश और अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। लेकिन पुलिस की इस एफआईआर पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि इसमें सत्संग करने वाले भोले बाबा का नाम शामिल नहीं है। इधर यूपी पुलिस ने हाथरस में सत्संग आयोजित करने वाले 'भोले बाबा' की तलाश में मैनपुरी जिले के राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में तलाशी ली। हालांकि, बाबा नहीं मिले। दरअसल, सूचना आई थी कि भोले बाबा के मैनपुरी में छिपे होने की चर्चा थी। मैनपुरी हाइवे पर बाबा के ट्रस्ट का दफ्तर है। देर रात पुलिस ने ट्रस्ट के ऑफिस को घेर लिया था। पुलिस उपाधीक्षक सुनील कुमार ने पुष्टि की कि बाबा जी परिसर में नहीं मिले।

 
अधिकारियों के मुताबिक, सत्संग के आयोजन के लिए अनुमति ली गई थी, लेकिन पुलिस से 80000 श्रद्धालुओं के शामिल होने की ही अनुमति मांगी गई थी। इसी के हिसाब से कार्यक्रम स्थल पर प्रशासन ने इंतजाम किए थे। मंगलवार को सत्संग में ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु आए। आयोजकों ने पुलिस से श्रद्धालुओं की संख्या को छिपाया। लेकिन इस पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सुबह से आयोजन हो रहा था और पुलिस ढाई लाख लोगों की भीड़ कैसे नहीं देख पाई। 

इस हादसे ने पुलिस और प्रशासन की व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी। भगदड़ के दौरान पुलिसकर्मी लाचार दिखाई दिए। वहीं जब शव हाथरस के ट्रॉमा सेंटर पहुंचने लगे तो वहां पर कोई व्यवस्था ही नहीं थी। एक श्रद्धालु ने बताया कि जब वह ट्रॉमा सेंटर में गया तो एक जूनियर डॉक्टर और एक ही फार्मासिस्ट मौजूद थे। सीएमओ भी मौजूद नहीं थे। वह डेढ़ घंटे बाद अस्पताल पहुंचे। शुरुआत में डॉक्टर स्टेचर पर ही घायलों का प्राथमिक उपचार कर रहे थे। अगर स्थिति गंभीर थी तो उसे रेफर कर दिया गया।


यह हादसा दो बजे के करीब हुआ। जब सत्संग के समापन के बाद भोले बाबा वहां से निकलने लगे तो श्रद्धालु उनके चरणों की धूल को छूने के लिए आगे बढ़े। फिर धक्का-मुक्की होने लगी। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। भगदड़ मच गई। कार्यक्रम स्थल के पास में दलदली खेत था, यहां कई लोग यहां फंसे। कीचड़ में कई लोग गिरे। कई महिलाएं बेहोश हो गईं।



पुलिस के मुताबिक, कार्यक्रम स्थल पर जिस समय भगदड़ हो रही थी, सेवादार और आयोजक चुपचाप देखते रहे। किसी ने कोई सहयोग नहीं किया। फिर एक-एक कर खिसक गए। पुलिस ने ही घायलों को अस्पताल पहुंचाया। वहीं इस हादसे का कारण भीषण गर्मी और उमस भी बताई जा रही है. एक श्रद्धालु ने बताया कि सुबह 8 बजे से ही सत्संग सुनने आ गए थे. लेकिन दोपहर में भीषण गर्मी और उमस होने लगी। श्रद्धालु बस यह चाह रहे थे कि सत्संग खत्म हो और घर जाएं. जैसे ही सत्संग का समापन हुआ, लोग बाहर निकलने के लिए बेकाबू हो गए। फिर एक-दूसरे को धक्का देने लगे। इसी दौरान भगदड़ मच गई। इस बीच, आगरा प्रशासन ने भोले बाबा के सत्संग पर रोक लगा दी है। यह सत्संग 4 जुलाई तक होना था। आयोजकों ने इसकी तैयारी भी कर ली थी। उप जिलाधिकारी की ओर से अनुमति भी ले ली गई थी। 

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