द फॉलोअप डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की पलार नदी में बढ़ते प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह प्रदूषण से प्रभावित लोगों को मुआवजा दे। यह प्रदूषण स्थानीय चमड़ा कारखानों (टेनरियों) द्वारा फैलाया गया है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है।
कोर्ट के आदेश और फैसले
प्रभावित परिवारों और लोगों को पहले दिए गए फैसलों (7 मार्च 2001 और 24 अगस्त 2009) के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। राज्य सरकार को 6 हफ्तों के अंदर यह मुआवजा बांटना होगा। यह खर्च "प्रदूषण करने वाला भुगतान करेगा" सिद्धांत के अनुसार उन उद्योगों से वसूला जाएगा, जिन्होंने प्रदूषण फैलाया है।
तिहाड़ भेजे जायेंगे दोषी अफसर
4 हफ्तों के भीतर एक विशेष समिति बनाई जाएगी। इसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज करेंगे।
इसमें राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी, पर्यावरण विशेषज्ञ, प्रभावित समुदायों के प्रतिनिधि और अन्य विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस समिति का काम नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करना और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाए रखना होगा। कोर्ट ने कहा है कि चमड़ा फैक्ट्रियों ने बिना साफ किए हुए गंदे पानी को नदी में छोड़ा, जिससे पानी, भूजल और खेती की जमीन खराब हो गई। इससे स्थानीय किसान, आम लोग और चमड़ा उद्योग में काम करने वाले मजदूर इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कोर्ट ने सख्त चेतावनी दी है कि यदि आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो दोषी अधिकारियों और उद्योगपतियों को तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा, न कि तमिलनाडु की किसी जेल में। इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि पर्यावरण को सुधारने और प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।