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Google हमेशा खास मौके पर Doodle बनाकर लोगों का याद करता है। ऐसा ही कुछ गूगल ने आज भी किया है। गूगल आज डॉ. भूपेन हजारिका (Dr. Bhupen Hazarika) को उनके 96वें जन्मदिन पर उन्हे याद कर रहा है। तो आईये इस खबर के माध्यम से हम आपको बताते है कि डॉ. भूपेन हजारिका कौन थे।
भूपेन हज़ारिका का जीवन परिचय
भूपेन हज़ारिका गायन, संगीत और फिल्म निर्माण में एक मशहूर नाम थे। संगीत की दुनिया में उनका अहम योगदान रहा है। उनका जन्म 8 सितंबर 1926 को पूर्वोत्तर भारतीय राज्य असम के तिनसुकिया में हुआ था। उनकी मां ने उन्हें संगीत से अवगत करवाया था जिसके बाद मात्र 10 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला गाना गाया। उन्होंने अपने पूरे जीवन में लगभग एक 1000 गाने गाए। उन्होंने न सिर्फ असमिया भाषा में बल्कि हिंदी, बंगाली सहित अन्य कई भाषाओं में गाने गाए हैं।
फिल्म रुदाली में उनका संगीत लोगों के जेहन में उतर गया। साहित्य में भी उनकी बहुत गहरी दिलचस्पी थी। उन्होंने गाने के अलावा 15 पुस्तकें भी लिखी हैं। उन्हें शकुंतला और प्रतिध्वनि जैसी खास फिल्मों के लिए एक फिल्मकार के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा।
उनकी शिक्षा कहां से हुई
हजारिका ने 1940 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। 1942 में कॉटन कॉलेज से इंटरमीडिएट इन आर्ट्स (IA) और फिर उच्च अध्ययन के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शामिल हुए और बाद में B.A. साल 1944 में और M.A. साल 1946 में पूरा किया। उन्हें अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप और पीएचडी की डिग्री मिली। वहीं पर वह प्रियंवदा पटेल से मिले और उन्हें दिल दें बैठे। जो बाद में उनकी जीवन संगिनी बनीं।
डॉ. भूपेन हजारिका के इन गानों को आपको जरूर सुनना चाहिए
• ओ गंगा तुम बहती है क्यू- इसे भूपेन हजारिका और कविता कृष्णमूर्ति ने गाया है। नरेंद्र शर्मा ने गीत और संगीत दिया है। मां गंगा की महिमा का वर्णन इस गीत में किया गया है।
• दिल हूँ हूँ करे- 1993 में रिलीज फिल्म रूदाली में यह गीत भूपेन हजारिका और लता मंगेशकर ने गाया है। गीत गुलजार का है। संगीत भी भूपेन हजारिका ने दिया है।
• समय ओ धीरे चलो- 1993 में रिलीज फिल्म रूदाली के इस गीत को भूपेन हजारिका ने ही अपनी आवाज दी है। साथ में लता मंगेश्कर और आशा भोसले ने भी गुलजार के इस गीत को गाया है।
• एक कलि दो पत्तियां- मैं और मेरा साया एलबम का यह गीत गुलजार ने लिखा है। एलबम 2011 में रिलीज हुआ था। आवाज भूपेन हजारिका ने दी है।
मरणोपरांत सम्मानित किए गए
भूपेन हज़ारिका का देहांत 2011 में हो गया। साल 2019 में उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया। इससे पहले उन्हें पद्म भूषण, दादा साहब फाल्के अवार्ड सहित तमाम अलग-अलग पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका था।