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मध्य प्रदेश विधानसभा से हटाई नेहरू की तस्वीर, कांग्रेस बोली- तो क्या गोडसे की फोटो...

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द फॉलोअप डेस्क, भोपाल:

भारतीय राजनीति में मौजूदा वक्त में सबसे प्रासंगिक नेता कौन हैं? सवाल का सहज जवाब तो नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी होना चाहिए लेकिन ऐसा है नहीं। इस समय जवाहरलाल नेहरू सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं। दरअसल, देश में किसी भी योजना, चुनाव और संसद सत्र ऐसा नहीं है जहां जवाहरलाल नेहरू का जिक्र न होता हो। सत्तापक्ष अतीत में देश में हुई किसी भी प्रकार की राजनीतिक भूल के लिए जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराने का मौका नहीं चूकता वहीं विपक्ष यह बताना नहीं भूलता कि नेहरू ने कितनी गौरवशाली विरासत छोड़ी है। अब, मध्य प्रदेश की राजनीति में अचानक जवाहरलाल नेहरू का नाम तैरने लगा है। मामला विधानसभा से उनकी तस्वीर हटाए जाने से जुड़ा है। पूरा मामला आपको समझाते हैं।

 

नेहरू की तस्वीर हटाकर अंबेडकर की फोटो लगाई
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की नव-निर्वाचित सरकार पर यह आरोप लगा है कि उसने विधानसभा से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर हटाकर वहां भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगा दी है। कांग्रेस ने इसे लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। कांग्रेस के विधायकों का कहना है कि क्या अब संवैधानिक संस्थाओं में नाथूराम गोडसे की तस्वीर लगाई जाएगी? वहीं, बीजेपी का तर्क है कि कांग्रेस को विरोध करने की बजाय अंबेडकर की तस्वीर लगाने के फैसले का स्वागत करना चाहिए। दोनो ही पार्टियों के शीर्ष नेता ने तो अब तक कुछ नहीं कहा लेकिन एमपी की सियासत गरमा गई है।

 

कांग्रेस ने नाथूराम गोडसे का नाम लेकर विरोध जताया
प्रदेश के कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती ने कहा कि अंबेडकर की तस्वीर लगाने के लिए नेहरू की फोटो हटाने की क्या आवश्यक्ता थी। दोनों ही सर्वोच्च नेता हैं। उनकी तस्वीरें विधानसभा में लगाई जानी चाहिए थी। नेहरू की तस्वीर हटाने को गलत फैसला बताते हुए राजेंद्र भारती ने कहा कि बीजेपी की मौजूदा सोच जैसी है उससे तो यही लगता है कि कहीं आने वाले समय में नेहरू और अंबेडकर जैसे महापुरुषों की तस्वीर हटाकर नाथूराम गोडसे की तस्वीर न लगा दी जाए। भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने भी फैसले का विरोध करते हुए कहा कि नेहरू की तस्वीर विधानसभा से नहीं हटानी चाहिए थी। अंबेडकर और जवाहरलाल नेहरू, दोनों ही सर्वोच्च नेताओं की तस्वीर वहां होनी चाहिए थी। 

उपमुख्यमंत्री और प्रोटेम स्पीकर ने फैसले पर क्या तर्क दिया
इस पूरे मामले में उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस को ऐसे बात नहीं करना चाहिए। उनको अंबेडकर की तस्वीर लगाने के फैसले का स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक बात जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर का है, सचिवालय निश्चित रूप से उचित जगह की तलाश कर लेगा। वहीं, प्रोटेम स्पीकर गोपाल भार्गव ने कहा कि यह पिछले कार्यकाल में हुआ था। नेहरू और अंबेडकर दोनों ही सर्वोच्च नेता हैं। सबके लिए सम्मान है। विधानसभा सचिवालय की विशेष समिति इस बारे में जो भी फैसला करेगी, वह मान्य होगा।